खिलाड़ी के कैरियर में जरूरी निजी, राष्ट्रीय कोच, तैयारियों में योजना का अभाव : विजय कुमार

खिलाड़ी के कैरियर में जरूरी निजी, राष्ट्रीय कोच, तैयारियों में योजना का अभाव : विजय कुमार

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  • Publish Date - July 23, 2024 / 02:11 PM IST,
    Updated On - July 23, 2024 / 02:11 PM IST

(अजय मसंद )

नयी दिल्ली, 23 जुलाई ( भाषा ) पेरिस ओलंपिक से पहले निजी और राष्ट्रीय कोच की भूमिका को लेकर गर्माई बहस के बीच ओलंपिक पदक विजेता निशानेबाज विजय कुमार का मानना है कि खिलाड़ी के विकास के लिये निजी और राष्ट्रीय कोच दोनों की भूमिका अहम होती है ।

कई भारतीय खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक में निजी कोच लेकर गए हैं और विजय का मानना है कि इसमें कोई बुराई नहीं है ।

निशानेबाजी में भारत की पदक उम्मीद पिस्टल निशानेबाज मनु भाकर ने महान पिस्टल निशानेबाज जसपाल राणा को चुना जबकि राइफल निशानेबाज ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर पूर्व ओलंपियन जॉयदीप करमाकर के साथ अभ्यास करते हैं हालांकि जॉयदीप उनके साथ पेरिस नहीं गए हैं । दूसरे खेलों में भी कई खिलाड़ियों ने निजी कोचों को तरजीह दी है ।

लंदन ओलंपिक 2012 में रैपिड फायर पिस्टल में रजत पदक जीतने वाले विजय ने पीटीआई से कहा ,‘‘ यह पेचीदा मसला है । निजी कोचों को भी अहमियत मिलनी चाहिये । मानों अगर मैं राष्ट्रीय कोच बन जाता हूं और मेरे पास जो निशानेबाज आते हैं, वे अब तक तो निजी कोच के साथ ही अभ्यास करते आये होंगे ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ इसलिये दोनों कोचों का योगदान अहम है । राष्ट्रीय कोच अतिरिक्त पुश देते हैं और दबाव का सामना करना सिखाते हैं ।’’

विजय ने कहा ,‘‘ महासंघ को भी ऐसे ही कोच नियुक्त करने चाहिये जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीते हों ताकि वे इन हालात में अच्छा खेलने के बारे में सिखा सकें । उस समय उनके दिमाग में क्या चल रहा था या कौन सी तकनीक अपनानी चाहिये ।’’

उन्होंने कहा कि भारतीय निशानेबाजी दल की तैयारियां अच्छी नहीं रही है और पेरिस ओलंपिक से छह महीने पहले ही रणनीति बना लेनी चाहिये थी ।

उन्होंने कहा ,‘‘ बाहर से देखने पर मुझे लगता है कि पिछले छह महीने में रणनीति का अभाव रहा है । महासंघ को ट्रेनिंग को लेकर साफ रोडमैप बनाना चाहिये था और उसी पर फोकस रहना चाहिये था । इसके अलावा टीम ओलंपिक से तीन (दो) महीने पहले घोषित हुई । ट्रायल देर से हुए जबकि जनवरी में ही हो जाने चाहिये थे ।’’

भाषा मोना

मोना