धर्म स्वातंत्र्य कानून, जानें विधेयक में क्या-क्या प्रावधान?

धर्म स्वातंत्र्य कानून, जानें विधेयक में क्या-क्या प्रावधान?

  •  
  • Publish Date - December 29, 2020 / 08:00 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

भोपाल। धर्म परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है। जिसे लेकर अब राज्य सरकारें कानून बना रही है। उत्तर प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ कानून को अध्यादेश के रूप में मंजूरी दी है। बता दें कि देश भर में लव जिहाद को लेकर सालों से चर्चा होते आ रही है। इस बीच उत्तर प्रदेश लव जिहाद के खिलाफ कानून लाना वाला पहला राज्य बना है। वहीं पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश भी लव जिहाद के खिलाफ धर्म स्वातंत्र्य कानून लाया है। मध्यप्रदेश सरकार ने कानून में 19 प्रावधान किए हैं। देखने से लग रहा है कि ये कानून उत्तर प्रदेश से भी ज्यादा सख्त है। वहीं आज कैबिनेट की विशेष बैठक में विधेयक को अध्यादेश के रूप में स्वीकार कर लिया गया। अब राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद नया कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। शिवराज सरकार ने विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा है। संभवत आज ही हस्ताक्षर होने के बाद लव जिहाद के खिलाफ धर्म स्वातंत्र्य कानून प्रदेश में लागू हो जाएगा।

Read More News: नए साल से पहले बसंत विहार इलाके में देह व्यापार का खुलासा, बिहार की दो युवतियां और एक 

जानें विधेयक में क्या खास

लव जिहाद के खिलाफ में बनाया गया धर्म स्वातंत्र्य कानून में मुख्य रूप से 19 प्रावधान शामिल किए गए हैं। इनके आधार पर अभियुक्त के दोषी साबित होने पर उसकी सजा निर्धारित की जाएगी। खास बात यह है कि प्रलोभन, धमकी, कपट, षड़यंत्र से या धर्म छिपाकर विवाह किया तो विवाह शून्य होगा। इसके अलावा 2020 का अधिनियम पारित होने के बाद 1968 का मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्र अधिनियम खत्म माना जाएगा। इसके पहले मध्य प्रदेश में पहले से धर्म स्वतंत्र अधिनियम था, लेकिन समय की मांग के चलते नए प्रावधानों की जरूरत पड़ी।

Read More News: CG Ki Baat: बारदान बिन ‘किसान’…कैसे बिकेगा धान! किसानों को सता रही चिंता, तय 

जानिए विधेयक के 19 प्रावधान

– प्रलोभन, धमकी, कपट, षड़यंत्र से या धर्म छिपाकर विवाह किया तो विवाह शून्य होगा।
– कानून के प्रावधानों के विरुद्ध धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 1 साल और अधिकतम 5 साल का कारावास होगा।
– कानून के प्रावधानों के खिलाफ महिला, नाबालिग, SC-ST के धर्म परिवर्तन किए जाने पर कम से कम 2 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना
– अपना धर्म छिपाकर कानून के प्रावधानों के खिलाफ धर्म परिवर्तन करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम – 10 साल की सजा व 50 हजार जुर्माने का प्रावधान।
– दो या दो से अधिक लोगों का एक ही समय में धर्म परिवर्तन पर कम से कम 5 साल और अधिकतम 10 साल की सजा और कम से कम 1 लाख रुपए के अर्थदंड का प्रावधान।
– एक से अधिक बार कानून का उल्लंघन पर 5 से 10 साल की सजा का प्रावधान।
– कानून के दायरे में आने के बाद विवाह शून्य घोषित करने का प्रावधान।
– पैतृक धर्म में वापसी को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
– धर्म परिवर्तन करने पर परिजन की शिकायत को कानून में किया गया है जरूरी।
– इस अधिनियम में दर्ज अपराध संज्ञेय और गैरजमानती होगा। सेशन कोर्ट में होगी सुनवाई।
– सब इंस्पेक्टर से नीचे का पुलिस कर्मी इस कानून के तहत दर्ज मामले की जांच नहीं करेगा
– निर्दोष होने के सबूत पेश करने की बाध्यता अभियुक्त पर रखी गयी है।
– परिवार न्यायालय में होगा विवाह शून्य करने का फैसला।
– अपराध में पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण हासिल करने का अधिकार होगा।
– पैदा हुए बच्चे को अपने पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में दावा करने की स्वतंत्रता होगी।
– अधिनियम के तहत दर्ज मामले में धर्म परिवर्तन कराने वाली संस्थाएं और लोग भी आरोपी के बराबर कार्यवाही के दायरे में आएंगे। ऐसी संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द होगा।
– धर्म परिवर्तन कराने के पहले कलेक्टर को 2 महीने पहले सूचना देना होगा जरूरी।
– सूचना नहीं देने पर 3 से 5 साल तक की सजा और 50 हजार जुर्माने का प्रावधान।
– 2020 का अधिनियम पारित होने के बाद 1968 का मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्र अधिनियम खत्म माना जाएगा।