मध्यप्रदेश की उर्वरा भूमि अपनी अनेकानेक विशिष्टताओं के साथ भारतीय ज्ञान परम्परा और ‘सा विद्या या विमुक्तये’ के बोध को प्रकट करने वाली भूमि है। त्रेता में भगवान श्रीरामचन्द्र की तपोभूमि चित्रकूट हो याकि द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली- पावन उज्जयिनी हो। याकि ओंकारेश्वर के नर्मदा तट में जगद्गुरु आदिशंकराचार्य की दीक्षास्थली हो। मध्यप्रदेश ने हर कालखंड में अपनी दीप्ति से राष्ट्र और समाज को एक नई दिशा दी है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जयिनी से आने वाले डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केंद्रीय नेतृत्व में 13 दिसंबर 2023 को प्रदेश के 19 वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। इसके पहले वे प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के तौर पर प्रदेश में काम कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी की रीति – नीति और सांस्कृतिक प्रतिमानों को साकार करने के लिए उन्होंने अपने सुदीर्घ अनुभवों से —–1 वर्ष के कार्यकाल शिक्षा के क्षेत्र में कई ऐसे निर्णय लिए। जो समृद्ध मध्यप्रदेश की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाले देश के पहले राज्य होने का कीर्तिमान हो। याकि भारतीय ज्ञान परम्परा को स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में शामिल करना हो। प्रदेश ने इसमें द्रुत गति से काम किया है। साथ ही मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश के विकास को डबल पंख लगे हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्ता के मूल्य को परंपरा के रूप में पुनर्स्थापित करने की दृष्टि से प्रदेश के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यालयों में ‘गुरु पूर्णिमा’ पर्व मनाने का आधिकारिक निर्णय लिया गया। इसी दृष्टि के अनुरूप विश्वविद्यालयों के कुलपति को ‘कुलगुरु’ के रुप में परिभाषित किया गया। साथ ही रामायण और श्रीमद्भगवद्गीता को वैकल्पिक विषय के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इतना ही नहीं मध्यप्रदेश शासन के कैलेंडर में विक्रम संवत को अंकित करने की शुरुआत भी हुई है। प्रदेश के महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में भारतीय विद्या (इंडोलॉजी) विभाग की स्थापना के साथ ही महापुरूषों की जीवनियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कदम :
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हुआ।विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों की अंक सूची और उपाधियों को ‘डिजी लॉकर’ में अपलोड करने की व्यवस्था लागू हुई। साथ ही उच्च शिक्षा में यदि नामांकन अनुपात की बात करें तो वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय औसत 28.4 की तुलना में मप्र ने 28.9 प्रतिशत के साथ विद्यार्थी नामांकन संख्या का कीर्तिमान बनाया। इसी दिशा में प्रदेश के 55 जिलों में पूर्व से संचालित एक अग्रणी महाविद्यालय का प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस में उन्नयन किया गया। इन्हें समय की मांग के अनुरूप उत्कृष्ट बनाने, विकसित करने और शिक्षा में अग्रणी बनाने की शुरुआत हुई। इसमें 30 रुपए महीने की न्यूनतम शुल्क पर विद्यार्थियों के लिए बस सेवा भी शामिल है।जहां खरगोन में 170 करोड़ रुपये की लागत से क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय का उद्घाटन हुआ। वहीं सागर में रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय और गुना में तात्या टोपे विश्वविद्यालय के शुभारंभ का श्रेय बीजेपी की मोहन सरकार को ही जाता है। शासकीय महाविद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षा मिले इसके लिए प्रदेश सरकार ने 2 हजार से अधिक नवीन पद सृजित किए। ताकि प्राध्यापकों के साथ साथ बुनियादी व्यवस्थाओं के संचालन में कोई अड़चन न आए।
शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार हो रहे साकार :
समय के सुसंगत शिक्षा को तकनीकी से जोड़ने और विशद् परिवर्तन की दृष्टि से नवाचारों को भी अपनाया जा रहा है। इसी कड़ी में शासकीय महाविद्यालयों में कृषि को एक विषय के रूप में जोड़ा गया। जहां पायलेट ट्रेनिंग के लिए विश्वविद्यालय में कोर्स शुरू करने की मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने घोषणा की है। वहीं उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज में आईआईटी का सैटेलाइट कैंपस प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों / महाविद्यालयों में स्थापित 47 इन्क्यूबेशन सेन्टर नवाचारों और पेटेंट की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हो रहे हैं। अभी तक प्रदेश के शासकीय विश्वविद्यालयों में 16, निजी विश्वविद्यालयों में 12 और शासकीय स्वशासी महाविद्यालय में 19 इन्क्यूबेशन केंद्र हैं। जो केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्राप्त हैं। साथ ही राज्य विश्वविद्यालय स्तर पर 65 स्टार्ट-अप्स और 2 निजी विश्वविद्यालयों में कुल 295 स्टार्ट-अप्स प्रारंभ हुए हैं। यह इसी का सुफल है कि पेटेंट कार्यालय, भारत सरकार से विश्वविद्यालयों के इन्क्यूबेशन सेंटर्स को 14 पेटेंट प्राप्त करने की सफलता मिली है। इसी दिशा में ‘डिजिटल रिपोजीटरी’ की स्थापना की गई है। ई-शिक्षा इंट्रीगेटड पोर्टल में शिक्षकों ने 1600 से अधिक ई-कंटेंट का निर्माण कर अपलोड करने का महत्वपूर्ण काम किया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए अभी तक 214 शोध केंद्र स्थापित किए गए हैं। इनमें शोध के 210 विषय शामिल किए गए हैं। इसी क्रम में जहां मध्यप्रदेश के 247 महाविद्यालयों में 1047 स्मार्ट क्लास संचालित हैं।वहीं इसके अतिरिक्त 400 महाविद्यालयों में 400 वर्चुअल क्लास के माध्यम से शिक्षा का अबाध प्रवाह हो रहा है।इसके अतिरिक्त व्यावसायिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा का एकीकरण की दिशा में कदम उठाए गए।क्षेत्रीय आवश्यकताओं के आधार पर 35 व्यावसायिक विषयों का पाठ्यक्रम में समावेश किया गया है। इतना ही नहीं वसुधैव कुटुम्बकम् की संकल्पना को साकार करने के लिए 12 अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ प्रदेश सरकार ने एम.ओ.यू किया है। जो शिक्षा का पारस्परिक विनिमय करेंगे।
चिकित्सा शिक्षा के कीर्तिमान :
मध्यप्रदेश ने उच्च शिक्षा के साथ चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में नित-नए कीर्तिमान बनाए हैं। कांग्रेस शासन काल में 2003-04 तक प्रदेश में जहां केवल 5 मेडिकल कॉलेज थे। वहीं वर्तमान में प्रदेश में 30 मेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं जिनमें 17 शासकीय हैं और 13 निजी क्षेत्र के हैं। इसके अतिरिक्त 8 शासकीय महाविद्यालय निर्माणाधीन हैं। प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को सशक्त करने की दिशा में निरंतर काम हो रहे हैं। नवंबर 2024 में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उज्जैन में निर्मित होने वाली प्रदेश की पहली हाईटेक मेडिसिटी और मेडिकल कॉलेज का भूमिपूजन किया है। 14.97 एकड़ में बनने वाली मेडिसिटी की लागत 592.3 करोड़ रुपए है। इसके पूर्व अक्टूबर 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 961 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित नीमच, मंदसौर और सिवनी के मेडिकल कॉलेज को लोकार्पित किया था। इसी दिशा में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रदेश में 50 मेडिकल कॉलेज के संचालन का लक्ष्य रखा है। साथ ही पीपीपी मॉडल से 14 मेडिकल कॉलेजों के निर्माण/ विकास के लिए टेंडर भी जारी किए हैं। इसके साथ ही शिवपुरी, रतलाम, खण्डवा, राजगढ़ और मंदसौर में शासकीय नर्सिंग महाविद्यालयों का निर्माण किया जा रहा है।
स्कूली शिक्षा में प्रदेश ने भरी उड़ान :
मध्यप्रदेश सरकार ने स्कूली शिक्षा में सुधार और विकास के साथ बेहतर शिक्षा के प्रसार के लिए वर्ष 2024-25 के बजट में 52 हजार 682 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है । प्रदेश में सर्वसुविधायुक्त 369 सीएम राइज विद्यालय संचालित हो रहे हैं। यह उसी सकारात्मक सोच का परिणाम है कि — मप्र के दो सीएम राइज़ स्कूलों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 10 स्कूलों में चुना गया है। अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘टी-4 एज्युकेशन’ ने सीएम राइज विनोबा स्कूल, रतलाम को ‘इनोवेशन’ श्रेणी में और सीएम राइज मॉडल उच्चतर माध्यमिक स्कूल, झाबुआ को ‘सपोर्टिंग हेल्दी लाइफ्स’ श्रेणी में चयनित किया है। इसी संकल्प को आगे बढ़ाने और उत्कृष्टता के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 150 सीएम राइज विद्यालयों को नए भवनों में संचालित करने का लक्ष्य रखा गया है। इतना ही नहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पालन के लिए वर्ष 2024-25 में लगभग 3,200 प्राथमिक शालाओं में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं की शुरुआत की भी तैयारी लगभग पूरी है। सरकार अपनी दूसरी योजनाओं के साथ-साथ एमपी बोर्ड की 12वीं कक्षा में 75 फीसदी अंक पाने वाले 90 हजार से अधिक विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि देती है। इसमें लैपटॉप के लिए 25-25 हजार रुपए देने का प्रावधान है। इसी प्रकार शिक्षा की गुणवत्ता और सार्थकता की दिशा में स्टार्स ( STARS) प्रोजेक्ट यानी प्रदेश में टीचिंग, स्ट्रेन्थनिंग, लर्निंग एण्ड रिजल्ट्स फॉर स्टेट्स प्रोजेक्ट के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जनजातीय समाज के सपनों को लगे पंख :
जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश कराने की तैयारी के लिये आकांक्षा योजना में 2023-24 में 2 करोड़ 13 लाख रुपए व्यय कर 97 विद्यार्थियों को कोचिंग कराई। इसमें जेईई, क्लैट, नीट जैसी परीक्षाओं के लिए मप्र सरकार जनजातीय वर्ग के विद्यार्थियों की फीस का खर्चा उठाती है। अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को विदेश स्थित मान्यता प्राप्त संस्थानों में गुणवत्ता पूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु प्रतिवर्ष 50 छात्र/छात्राओं को विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। इसके अंतर्गत वित्त वर्ष 2023-24 में 10 होनहार विद्यार्थियों को 2 करोड़ 89 लाख रुपए की विदेश अध्ययन छात्रवृति राशि दी गई। इसी प्रकार आवास किराया सहायता योजना में वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग द्वारा 1 लाख 44 हजार से अधिक विद्यार्थियों को 109 करोड़ 52 लाख रुपए की किराया प्रतिपूर्ति भुगतान की गई। सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना में 2023-24 में एक करोड़ से 497 अभ्यर्थियों को लाभ दिया गया। साथ ही परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण योजना में 2023-24 में 18 लाख रुपए से 580 अभ्यर्थी लाभान्वित हुए । इतना ही नहीं जनजातीय वर्ग के 11वीं -12वीं और महाविद्यालयीन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए 500 करोड़ रूपये प्रावधान किए गए हैं।
इस प्रकार हम यदि डॉ. मोहन यादव के 1 वर्ष के कार्यकाल की शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धियों/ कार्यों को देखें तो निश्चित तौर पर प्रदेश की बेहतरी का एक सुस्पष्ट रोडमैप दिखाई देता है। यह संकल्प दूरदर्शी नेतृत्व के साथ सशक्त-समृद्ध आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की संकल्पना को साकार करने वाला है।जोकि शिक्षा के क्षेत्र में भारतीयता के मूल्यों के साथ नई पीढ़ी को गढ़ रहा है। सर्जनात्मकता की उमंग लिए मध्यप्रदेश की गौरवगाथा को प्रस्तुत कर रहा है। मोहन सरकार ने अपने आरंभ है प्रचंड का उद्घोष कर दिया है। विकसित मध्यप्रदेश से विकसित भारत 2047 के विजन की ओर सरकार और तंत्र को गतिशील बनाया है। चरैवेति.. चरैवेति का मूलमंत्र-बीजमंत्र है। जो सर्वत्र प्रकाश की दीप्ति से आलोकित है।
~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
(लेखक IBC 24 में असिस्टेंट प्रोड्यूसर हैं)
Disclaimer- आलेख में व्यक्त विचारों से IBC24 अथवा SBMMPL का कोई संबंध नहीं है। हर तरह के वाद, विवाद के लिए लेखक व्यक्तिगत तौर से जिम्मेदार हैं।
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4 weeks ago