मोदी की लोकप्रियता व आक्रामक अभियान के दम पर भाजपा छिंदवारा समेत मध्य प्रदेश की सभी सीट जीती

मोदी की लोकप्रियता व आक्रामक अभियान के दम पर भाजपा छिंदवारा समेत मध्य प्रदेश की सभी सीट जीती

मोदी की लोकप्रियता व आक्रामक अभियान के दम पर भाजपा छिंदवारा समेत मध्य प्रदेश की सभी सीट जीती
Modified Date: June 5, 2024 / 05:25 pm IST
Published Date: June 5, 2024 5:25 pm IST

भोपाल, पांच जून (भाषा) राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता और आक्रामक अभियान के चलते भाजपा ने लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में जीत दर्ज की और कांग्रेस के गढ़ छिंदवाड़ा पर भी कब्जा किया।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अमित शाह की चुनावी रणनीति के कारण कई कांग्रेस कार्यकर्ता सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए और इस तरह विपक्षी खेमे को कमजोर कर दिया गया।

दूसरी ओर, विश्लेषकों का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व भाजपा का मुकाबला करने के लिए ताकत, प्रभावी रणनीति और आक्रामकता दिखाने में विफल रहा।

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भाजपा ने मंगलवार को छिंदवाड़ा समेत मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद नकुल नाथ अपने दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ रहे थे। नकुलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कमलनाथ के बेटे हैं।

मध्य प्रदेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, विजयाराजे सिंधिया और कुशाभाऊ ठाकरे जैसे भाजपा के दिग्गजों का राजनीतिक क्षेत्र रहा है।

इस बार भाजपा की लहर में कांग्रेस को अपना गढ़ छिंदवाड़ा भी गंवाना पड़ा। आजादी के बाद यह दूसरा मौका है जब भाजपा ने छिंदवाड़ा में जीत दर्ज की है।

चुनाव से पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि कमलनाथ और उनके बेटे भाजपा में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि दोनों कुछ दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए थे। बाद में दोनों ने इस तरह के दावों का खंडन किया।

लेकिन, चुनाव विश्लेषकों के अनुसार, ऐसी अफवाहों ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया।

भाजपा की आक्रामक प्रचार रणनीति के तहत, प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में आठ जनसभाओं को संबोधित किया और दो रोड शो का नेतृत्व किया, जिनमें भारी भीड़ जुटी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा प्रमुख जे पी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रदेश पार्टी प्रमुख वी डी शर्मा ने भी विभिन्न सभाओं को संबोधित किया।

पार्टी के एक नेता के अनुसार, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य में 180 से अधिक जनसभाओं को संबोधित किया और करीब 58 रोड शो किए।

दूसरी ओर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक-एक जनसभा को संबोधित किया, जबकि राहुल गांधी ने पांच रैलियां कीं।

एक भाजपा नेता ने कहा कि ग्वालियर दौरे के दौरान शाह ने एक बैठक में भाजपा सदस्यों से कहा था कि वे छिंदवाड़ा सहित कांग्रेस के स्थानीय प्रभावशाली और असंतुष्ट नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करने में मदद करें।

भाजपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एक लाख कार्यकर्ताओं को अपने पाले में शामिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा था, जिसमें छिंदवाड़ा से पचास हजार कार्यकर्ता शामिल हैं।

चुनाव से पहले, कमल नाथ के कुछ करीबी सहयोगी कांग्रेस छोड़कर सत्ताधारी दल में चले गए।

नवंबर 2023 के मध्य प्रदेश चुनाव में, कांग्रेस ने छिंदवाड़ा जिले की सभी सात विधानसभा सीट पर जीत हासिल की। लेकिन बाद में, केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी सहित कांग्रेस के कुछ प्रभावशाली नेता भाजपा में शामिल हो गए, जिससे कांग्रेस की प्रदेश इकाई कमजोर हो गई।

वरिष्ठ पत्रकार और ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ)’ के ‘विजिटिंग फेलो’ रशीद किदवई ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजे राज्य में कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व को दर्शाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘ प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व भाजपा का मुकाबला करने के लिए बहादुरी, रणनीति और आक्रामकता का प्रदर्शन करने में विफल रहा।’

उन्होंने दावा किया कि कमल नाथ अपने बेटे की जीत सुनिश्चित करने के लिए छिंदवाड़ा से जुड़े रहे, लेकिन यह व्यर्थ रहा।

किदवई ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए लिटमस टेस्ट था। कांग्रेस नवंबर 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा से बुरी तरह हार गई थी। प्रदेश कांग्रेस को आम चुनाव में पड़ोसी राजस्थान में पार्टी के प्रदर्शन से सबक लेना चाहिए, अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब वह गुजरात की राह पर जाएगी, जहां कांग्रेस का सफाया हो गया है।’’

राजनीतिक पर्यवेक्षक जयराम शुक्ला ने कहा कि कांग्रेस हिट विकेट हो गई।

उन्होंने कहा, ‘नाथों के दिल्ली प्रकरण ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का भरोसा हिला दिया। भाजपा द्वारा उनके दरवाजे बंद करने के बाद दोनों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी।’

शुक्ला ने दावा किया, दूसरी बात, राज्य में कांग्रेस की बागडोर ‘अपरिपक्व’ नेता जीतू पटवारी को सौंपना एक बड़ी विफलता साबित हुई। पटवारी स्वयं 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए।

उन्होंने कहा, ‘उनकी कोई हैसियत नहीं है। वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें अपना नेता स्वीकार नहीं किया।’

शुक्ला ने कहा कि दूसरी ओर, भाजपा ने अपने कुशल राज्य तंत्र और सूक्ष्म बूथ प्रबंधन के साथ आक्रामक और राजनीतिक तरीके से चुनाव लड़ा।

भाषा दिमो

राजकुमार

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