लोकपाल को लेकर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय को ‘डिफॉल्टर’ बताना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’: कुलपति

लोकपाल को लेकर माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय को 'डिफॉल्टर' बताना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’: कुलपति

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  • Publish Date - June 22, 2024 / 09:25 PM IST,
    Updated On - June 22, 2024 / 09:25 PM IST

भोपाल, 22 जून (भाषा) मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (एमसीयू) के कुलपति ने कहा है कि लोकपाल के पद पर एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति के बावजूद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा उनके विश्वविद्यालय को ‘डिफॉल्टर’ करार देना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विद्यार्थियों की समस्याओं के समाधान के लिए लोकपाल नियुक्त करने में नाकाम रहने पर 16 विश्वविद्यालयों को (डिफॉल्टर) करार दिया था। इसके कुछ दिनों बाद ‘डिफॉल्टर’ की सूची में शामिल एमसीयू ने यूजीसी के इस कदम को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।

एमसीयू ने कहा कि उसने सेवानिवृत्त मुख्य जिला एवं सत्र न्यायाधीश ओम प्रकाश सुनरया को अपना लोकपाल नियुक्त किया है।

विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि यूजीसी द्वारा प्रदत्त दिशा निर्देशों के तहत सुनरया लोकपाल के पद पर नियुक्त किए गए हैं और उनकी नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्ष की अवधि तक के लिए है।

इसमें कहा गया है कि सुनरया को छह जून को लोकपाल नियुक्त किया गया था और उन्होंने अगले दिन कार्यभार संभाल लिया था।

प्रेस विज्ञप्ति में एमसीयू के कुलपति प्रो. (डॉ) के जी सुरेश ने 19 जून को जारी यूजीसी की ‘डिफॉल्टर’ की सूची में विश्वविद्यालय को शामिल करने के कदम को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।

उन्होंने कहा, “ हमने दो महीने पहले ही प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन (लोकसभा चुनाव के लिए) आदर्श आचार संहिता के कारण अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी। हमने सात जून को अधिसूचना जारी की और 13 जून को यूजीसी को सूचित किया, लेकिन हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि 19 जून को यूजीसी द्वारा जारी सूची में हमारे विश्वविद्यालय का भी नाम था।”

प्रोफेसर सुरेश ने कहा कि उन्होंने यूजीसी सचिव को पत्र लिखकर एमसीयू को सूची से हटाने के बाद उसे अद्यतन करने का अनुरोध किया है।

भाषा नोमान संतोष

संतोष