Schemes and decisions on Farmers: किसान आंदोलन और उसपर विधानसभा चुनाव.. सहमी केंद्र सरकार अब उठा रही ये बड़ा कदम.. क्या हो पायेगा डैमेज कन्ट्रोल?

पीएम-किसान जैसी योजनाएं किसानों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। 1,115 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, इस पहल का उद्देश्य छोटे किसानों को एक स्थिर आय स्रोत प्रदान करके उनके लिए दीर्घकालिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करना है।

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  • Publish Date - September 5, 2024 / 08:15 PM IST,
    Updated On - September 5, 2024 / 08:15 PM IST

Schemes and decisions on Farmers central government: नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के लिए विपक्षी चुनौती सबसे बड़ी चुनौती नहीं मानी जाती रही हैं। केंद्र की सरकार के लिए उनकी नीतियों ने ही कई बड़े संकट खड़े किये हैं। इनमे सबसे प्रमुख रहा हैं मोदी सरकार की किसान नीति। यही वजह हैं कि किसानों के उत्थान और उनकी प्रगति के दावे के साथ लिए गए फैसलों की वजह से सरकार को आज चार सालों के बाद भी उन्हें किसानों के नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

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केंद्र की भाजपा नीत सरकार को अपनी कृषि सम्बन्धी नीतियों को लेकर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। किसानों ने इन नीतियों को किसान विरोधी बताया है, जिसके चलते 2020 से ही व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश इस विरोध प्रदर्शन का केंद्र रहे है। हालांकि आज किसान सडकों पर नजर नहीं आ रहे लेकिन किसान समुदाय में असंतोष साफ तौर पर देखा जा सकता है, खास तौर पर पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में।

Schemes and decisions on Farmers central government: दूसरी सरकार का तर्क है कि ये किसानों से जुड़े ये कानून कृषि क्षेत्र को आधुनिक बनाने के लिए बनाए गए हैं। उनका दावा है कि ये सुधार कृषि और कृषकों को ज्यादा लचीलापन और बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करेंगे। इसके बावजूद, विपक्षी दल और किसान यूनियनें संशय में हैं। वे मैंने को तैयार नहीं है कि सरकार के कदम का किसी तरह का असर उनपर पड़ेगा।

हालांकि ऐसा नहीं हैं कि केंद्र की सरकार ने कृषक कल्याण के लिए कोई कदम नहीं उठाये हैं। अलग अलग बजट और किसान आंदोलन के बाद केंद्र की सरकार ने कृषि उत्पादन बढ़ाने, किसानों की आय दोगुनी करने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं. आइये जानते हैं बिंदुवार

Schemes and decisions on Farmers central government: सरकार ने किसानों की सहायता के लिए कई पहल शुरू की हैं। ऐसी ही एक पहल कृषि उत्पादकता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए ₹13,966 करोड़ की योजना है। इसमें प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित कृषि पद्धतियों में निवेश शामिल है।

एक अन्य महत्वपूर्ण परियोजना कृषि अवसंरचना कोष है, जिसका उद्देश्य भंडारण सुविधाओं में सुधार करना और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है। 3,979 करोड़ रुपये की यह योजना भारत के कृषि क्षेत्र को बढ़ाने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

एग्रीस्टैक जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की शुरुआत का उद्देश्य खेती में निर्णय लेने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाना है। डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ उठाकर, ये प्लेटफॉर्म किसानों को फसल प्रबंधन और बाजार तक पहुंच के बारे में सूचित विकल्प बनाने में मदद करते हैं।

पीएम-किसान जैसी योजनाएं किसानों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। 1,115 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, इस पहल का उद्देश्य छोटे किसानों को एक स्थिर आय स्रोत प्रदान करके उनके लिए दीर्घकालिक व्यवहार्यता सुनिश्चित करना है।

Schemes and decisions on Farmers central government: सरकार किसानों के लिए शिक्षा और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित करती है। 2,291 करोड़ रुपये की पहल का उद्देश्य कृषि शिक्षा और प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करना है। ये प्रयास किसानों को बदलती कृषि आवश्यकताओं के अनुकूल होने के लिए आवश्यक ज्ञान से लैस करने के लिए डिजाइन किए गए हैं।

टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने वाली योजनाएं भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, 860 करोड़ रुपये की पहल उच्च उपज वाली फसल किस्मों को विकसित करने पर केंद्रित है जो जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीली हैं। इसका उद्देश्य भारतीय कृषि में उत्पादकता और स्थिरता दोनों को बढ़ाना है।

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Schemes and decisions on Farmers central government: लगातार विरोध और आलोचना के बावजूद, सरकार का कहना है कि उसकी नीतियां मूल रूप से किसानों के हित में हैं। उनका तर्क है कि इन सुधारों से किसानों को अंततः लाभ होगा क्योंकि इससे उन्हें बेहतर अवसर और संसाधन मिलेंगे।

इस बात पर बहस जारी है कि क्या ये नीतियां वास्तव में किसान विरोधी हैं या नहीं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि भारत के कृषि भविष्य के लिए सबसे अच्छा क्या है, इस पर दोनों पक्षों की राय मजबूत है।

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