PM Gati Shakti Yojana

PM Gati Shakti Yojana: देश ही नहीं विदेशों में भी लागू होगी पीएम मोदी की ये योजना! ये देश अपनाने को तैयार

PM Gati Shakti Yojana: जहां नेपाल की जरूरतें खास परियोजनाओं को लेकर हैं, तो वहीं श्रीलंका अपने पूरे सिस्टम में PM गति शक्ति योजना को लागू करने का इच्छुक है।

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Modified Date: October 13, 2024 / 12:20 PM IST
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Published Date: October 13, 2024 12:18 pm IST

नई दिल्ली: PM GatiShakti (प्रधानमंत्री गति शक्ति) भारत सरकार की एक महत्त्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य देश में बुनियादी ढांचे के विकास को तेज गति देना है। अपनी परियोजनाओं की लागत और समय की बचत के लिए नेपाल और श्रीलंका भारत से PM गति शक्ति योजना को अपनाने पर चर्चा कर रहे हैं।

भारत के उद्योग सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने बताया कि इन देशों के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। जहां नेपाल की जरूरतें खास परियोजनाओं को लेकर हैं, तो वहीं श्रीलंका अपने पूरे सिस्टम में PM गति शक्ति योजना को लागू करने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली ने तीन साल पहले इसके शुभारंभ के बाद से अब तक 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी है।

PM GatiShakti (प्रधानमंत्री गति शक्ति) योजना को 13 अक्टूबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय को बेहतर बनाना और परियोजनाओं के समयबद्ध तरीके से क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है।

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) के सचिव अमरदीप भाटिया के अनुसार, भारत अपने पड़ोसी देशों को उनकी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की बेहतर योजना बनाने में मदद करने के लिए तैयार है। PM GatiShakti योजना का उद्देश्य देश में बेहतर सड़क, रेल, बंदरगाह, हवाई अड्डों और अन्य बुनियादी ढांचों का विकास कर आर्थिक सुधार को प्रोत्साहित करना है। इससे भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित करने की उम्मीद की जा रही है।

योजना का विस्तार जिलास्तर तक

PM Gati Shakti Yojana केंद्र और राज्यों की बड़ी परियोजनाओं के बाद, भारत सरकार अब इस टूल का इस्तेमाल जिलास्तर पर भी परियोजनाओं की योजना बनाने के लिए कर रही है। भाटिया ने कहा, “पिछले तीन वर्षों में हमने 15.39 लाख करोड़ रुपये की 208 परियोजनाओं की योजना बनाने के लिए पीएम गतिशक्ति का इस्तेमाल किया है।” अब 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस सिस्टम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

विभिन्न मंत्रालयों की भागीदारी

बीते तीन वर्षों में, कुल 44 केंद्रीय मंत्रालयों को इस एकीकृत योजना प्रणाली में शामिल किया गया है, जिनमें आठ बुनियादी ढांचा मंत्रालय, 16 सामाजिक क्षेत्र के मंत्रालय, 15 आर्थिक मंत्रालय और पांच अन्य शामिल हैं। DPIIT के एक अधिकारी ने बताया कि 1,614 डेटा लेयर्स को शामिल किया गया है, जिनमें से 726 विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा और 888 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा योगदान दिए गए हैं।

तेजी से परियोजना लागू

राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत कई मंत्रालय इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 8,891 किलोमीटर सड़क परियोजनाओं की योजना बनाई है। रेलवे मंत्रालय ने NMP फ्रेमवर्क का इस्तेमाल कर 27,000 किलोमीटर रेल परियोजनाओं की योजना बनाई है। रेलवे ने 2021 में 57 स्थानों की फाइनल लोकेशन सर्वे (FLS) की थी, जो 2022 में बढ़कर 449 हो गई है।

तेल और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) ने पूरे देश में तेल और गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए इस प्रणाली का व्यापक इस्तेमाल किया है। डीआरएस (डिटेल्ड रूट सर्वे) जो पहले 6-9 महीने लगते थे, अब ई-डीआरएस (इलेक्ट्रॉनिक डीआरएस) रिपोर्ट मात्र एक दिन में तैयार हो जाती है।

राज्यों में इस्तेमाल

उन्होंने कहा कि राज्य भी इस प्रणाली का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, गोवा ने एनएमपी/राज्य मास्टर प्लान (एसएमपी) का इस्तेमाल करके अमोना नदी के किनारे बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों संकेलिम और अमोना के लिए आपदा प्रबंधन योजना विकसित की है। उत्तर प्रदेश में, इसका इस्तेमाल एक्सेस पोर्टल के माध्यम से असेवित बस्तियों में नए हाई स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेजों के लिए स्थानों की पहचान करने के लिए किया जाता है।

गुजरात ने भी प्रगति की है, खासकर अपने 300 किलोमीटर के तटीय गलियारे परियोजना के साथ। इसका इस्तेमाल करके, राज्य ने परियोजना मंजूरी के लिए आवश्यक अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की संख्या 28 से घटाकर 13 कर दी है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना, जो चार जिलों – भरूच, सूरत, नवसारी और वलसाड में फैली हुई है – वह दांडी, उभरत और तिथल जैसे पर्यटन स्थलों से संपर्क बढ़ाएगी।

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