रायपुर: Swami Atmanand Schools ‘बात हे मान के…छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के’ छत्तीसगढ़ में ये लाइन तब सुनने को मिला जब छत्तीसगढ़ में एक माटी पुत्र की सरकार यानि भूपेश बघेल की सरकार बनी। भूपेश सरकार ने साढ़े 4 साल में छत्तीसगढ़ियों को हर स्तर पर आगे बढ़ाने का काम किया, जो धरातल पर दिखता भी है। बात स्वाभिमान बढ़ाने की करें तो भूपेश बघेल ने जहां किसानों को सम्मान निधि की राशि देकर उनका गौरव बढ़ाया तो वहीं अच्छी शिक्षा देकर ऐसा काम कर दिया कि अब विदशों में भी यहां के बच्चे गर्व से कह सकेंगे ‘छत्तीगढ़िया सबले बढ़िया’। जी हां हम बात कर रहे हैं जो छत्तीसगढ़ में इन दिनों बेहद चर्चा में हैं, यानि स्वामी आत्मानंद स्कूल की।
Read More: इस दिन आएगा लियो का टीजर, मेकर्स ने किया ऐलान…
Swami Atmanand Schools मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी मीडियम स्कूल की शुरुआत की, जिसका लाभ आने वाली अनेक पीढ़ियों को सुखद भविष्य के रूप में मिलता रहेगा। किसान पुत्र सीएम भूपेश बघेल की प्रभावशाली योजना ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी-हिंदी माध्यम स्कूल’ के तहत छत्तीसगढ़ के लाखों बेटे और बेटियों को अपना उज्ज्वल भविष्य गढ़ने का मौका मिल रहा है। सीएम भूपेश बघेल की इस विशेष पहल से गांवों एवं शहरों में आधुनिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उजली तस्वीर देखने को मिल रही है।
Read More: काम करते वक्त आती है नींद, तो आज से ही करें ये रुटीन फॉलो, दूर भाग जाएगा आलस
वैसे देखा जाए तो कोई भी देश कितना विकसित है, इसे परखने के तीन पैमाने होते हैं। स्वास्थ्य, आर्थिक खुशहाली और शिक्षा। शिक्षा में प्रवेश करने से भविष्य में इसका कई गुना लाभ मिलता है। आज का दौर वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन है। इस आधुनिक समय में अंग्रेजी एक सार्वभौमिक भाषा है। हालांकि, निम्न व मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए यह संभव नहीं है। लेकिन आज सभी वर्गों के परिवार भी चाहते हैं कि अपने बच्चों को उच्च वर्ग के बच्चों की तरह अंग्रेजी मीडियम वाले स्कूल में पढ़ाएं।
Read More: लॉन्च से पहले लीक हुए Samsung Galaxy Z Fold 5 के फीचर्स, रिलीज डेट सहित जाने सब कुछ
आपको बता दें कि सीएम भूपेश बघेल इस स्कूल के लिए विशेष पहल तब कि जब लॉकडाउन का दौर चल रहा था। प्रदेश में कोरोना के चलते कोई भी परिवार घर से बाहर नहीं जा पा रहा था तो बच्चे कैसे स्कूल जा पाते और शिक्षा ग्रहण कर पाते। लॉकडाउन के समय सीएम भूपेश बघेल ने कांकेर के शासकीय नरहरदेव उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक शाला में आयोजित समर कैंप में छात्रों से संवाद किया। इस मौके पर सीएम ने बताया कि कोरोना काल में सब जगह लॉकडाउन था। इस दौरान मैंने छत्तीसगढ़ के अधिकारियों की मीटिंग ली। इस बैठक में मैंने अधिकारियों से कहा कि छत्तीसगढ़ को बने 20 साल से ज्यादा हो गए। लेकिन ऐसा एक भी स्कूल आप लोग नहीं बना पाए, जिसमें आपके बच्चे भी पढ़ सकें। इस तरह छत्तीसगढ़ में स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल का विचार आया। भूपेश सरकार की पहल से आज स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर बड़ा मुकाम हासिल किया है।
भूपेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘स्वामी आत्मानंद स्कूल’ में गरीब और निम्न तबके के प्रतिभावान बच्चों के पालकों को निजी स्कूलों की महंगी फीस से काफी राहत मिली है। इन स्कूलों में कम फीस पर अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा के साथ-साथ विश्व स्तरीय सुविधाएं, बेहतर शैक्षणिक माहौल मिल रहा है। इन स्कूलो में हाईटेक सुविधाओं के साथ अत्याधुनिक लाइब्रेरी, अत्याधुनिक विज्ञान प्रयोगशालाएं, स्मार्ट क्लास, लैंग्वेज लैब, साथ ही टेनिस और बैडमिंटन सहित विभिन्न खेलों की सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है। वर्तमान में संचालित स्वामी आत्मानंद स्कूल में लगभग कुल 2307 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। जहां बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और उज्जवल भविष्य के लिए तैयार हो रहे हैं।
स्वामी आत्मानंद स्कूल की शिक्षा के स्तर की बात करें तो हाल ही में जारी 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम जारी किया गया। परीक्षा परीणाम में आत्मानंद स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों ने प्राइवेट स्कूल के छात्रों को अपना लोहा मनवा दिया। 10वीं बोर्ड के 50 टॉपर्स की सूची में से 15 से अधिक आत्मानंद स्कूल में पढ़ने वाले छात्र थे। ऐसा ही कुछ 12वीं बोर्ड के परीक्षा परिणाम में भी देखने को मिला।
Read More: देवर के प्यार में इस कदर पागल हुई भाभी, पति को भी नहीं बख्शा, सामने आया खौफनाक सच
छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करने के लिए बेहतर माहौल बन रहा है। आज हर बच्चे की जुबां पर ‘स्वामी आत्मांनद’ स्कूल का नाम होता है। प्रदेश का हर परिवार अपने बच्चों को इस स्कूल में दाखिला दिलाना चाहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर कौन हैं ये ‘स्वामी आत्मांनद’, जिनके नाम पर प्रदेश के हर जिले में स्कूल खोला जा रहा है। आपको बता दें कि इस स्कूल का नाम बस्तर के एक संत के नाम पर रखा गया, जिनका नाम आत्मानंद था। आत्मानंद ने अबूझमाड़ में आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिए बेहतर काम किया। इन्होंने छत्तीसगढ़ में मानव सेवा एवं शिक्षा संस्कार की अलख जगाई। पीड़ित मानवता की सेवा को उन्होंने सबसे बड़ा धर्म बताया। छत्तीसगढ़ उनकी कर्मभूमि रही है। स्वामी आत्मानंद ने शहरी और आदिवासी क्षेत्र में बच्चों में संस्कार, युवकों में सेवा भाव और बुजुर्गों में आत्मिक संतोष का संचार किया। स्वामी विवेकानंद के विचारों का भी उन पर भी गहरा असर हुआ।
स्वामी आत्मानंद ने वनवासियों के उत्थान के लिए नारायणपुर आश्रम में उच्च स्तरीय शिक्षा केन्द्र की स्थापना की। उन्होंने आदिवासियों के सम्मान एवं उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए अबूझमाड़ प्रकल्प की स्थापना की। भूपेश सरकार ने इससे प्रेरणा लेते हुए उनके नाम पर स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किए हैं, जिनमें हर वर्ग के बच्चों को अच्छी कक्षा, पुस्तकालय, खेल मैदान सहित अच्छी पढ़ाई की सुविधा दी जा रही है। मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में भी हर गांव का बच्चा अंग्रेजी शिक्षा से परिपूर्ण हो। नारायणपुर में वनवासी सेवा केन्द्र प्रारंभ कर वनवासियों की दशा और दिशा सुधारने के प्रयास किए। आज प्रदेश में 247 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल और हिंदी माध्यम के 32 स्कूल संचालित हैं, वहीं आगामी शिक्षण सत्र से 422 स्कूलों का संचालन किया जाना भी प्रस्तावित है।
जनगणना 2011 के अनुसार राज्य की साक्षरता दर 70.3% है, पुरुष साक्षरता दर 80.27% व महिला साक्षरता दर 60.24% है। जनगणना 2001 की तुलना में महिला साक्षरता दर में लगभग 8% की अधिक वृद्धि हुई है। दुर्ग जिले की साक्षरता दर सर्वाधिक 82.56% है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ताजा वार्षिक रिपोर्ट 2022 में छत्तीसगढ़ के आधे मजदूर यानी 49.8 फीसदी पढ़े-लिखे हैं।
सीएम भूपेश बघेल हमेशा कहते हैं कि प्रतिभा तो है लेकिन संसाधन नहीं दोगे तो यह कैसे उभरेंगे। भूपेश सरकार ने स्कूलों को संसाधनों से समृद्ध किया है। सीएम भूपेश चाहते हैं कि हमारी पीढ़ी अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ हमारी संस्कृति से भी जुड़ी रहे इसलिए अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिंदी माध्यम के आत्मानंद स्कूल भी खोले जा रहे हैं। साथ ही स्थानीय बोलियों को पाठ्यक्रम से जोड़ा गया है। इससे बच्चों को अपनी संस्कृति, परम्पराओं और स्थानीयता पर भी गर्व होगा।
Ayushman Card Kaise Banaye 2024 : अब घर बैठें खुद…
24 hours ago