रायपुर: देश में कई प्रकार की कला संस्कृति, इतिहास पुरातत्ववेत्ता, प्राकृतिक स्थिति, प्राकृतिक जलवायु विद्यमान है। ठीक उसी प्रकार से छत्तीसगढ़ की भी अपनी कला, संस्कृति, इतिहास को संजोये कई जनजातियाँ भी विद्यमान है, यहाँ की लोककला संस्कृति के भी विभिन्न स्वरुप देखने को मिलते है। छत्तीसगढ़ की जनजातियों को छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा अनेको प्रावधान दिए गये है। इस प्रावधान के स्वरूप जनजातियों को कुछ भागो में विभक्त किया गया है जैसे कुछ विषेश प्रावधान की जनजातियाँ है-बैगा, भतरा, गोंड़, नागेसियाँ इत्यादि। (Chhattisgarh government’s efforts for the protected tribes of the state) इन विशेष जनजातियों के सर्वांगीण विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई बड़े कदम उठायें है। छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ अपने आप में एक अलग ही महत्व है।
छत्तीसगढ़ की जनजातियो की छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा संविधान के अनुसार 342 के तहत भारत सरकार द्वारा जनजातियों की सूची में 42 जनजातियों को शामिल किया गया है। छत्तीसगढ़ 1 नवम्बर सन 2000 को अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ की जनसँख्या की बात करे तो 2011 में इसकी कुल जनसंख्या 2,55,45,198 थी, जिसमे अनुसूचित जन जातियों की जनसंख्या 78,22,902 थी, अर्थात राज्य की कुल जनसंख्या का 30.60 प्रतिशत अनुसूचित जनसंख्या की थी।
प्रदेश की इस बड़ी आबादी के संरक्षण, संवर्धन और हितों की रक्षा के साथ शिक्षा, आर्थिक कल्याण और सामुदायिक उत्थान को बढ़ावा देने के लिए अनेकों कार्यक्रम संचालित हैं, जिनका बेहतर और प्रभावी क्रियान्वयन हो रहा हैं। आदिवासी समाज की बेहतरी के लिए शासकीय प्रयासों के अतिरिक्त समाज के लोगों की भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग मिलता रहा हैं। इसके लिए आदिवासियों के बीच उनके अधिकारों के बारे में जागरुकता पैदा करना और जनजातीय कल्याण से जुड़े योजनाओं से अवगत कराने का कार्य भी प्रदेश सरकार की ओर से किया जा रहा हैं।
विशेष रुप से कमजोर जनजाति विकास अभिकरण
छत्तीसगढ़ राज्य में भारत सरकार द्वारा घोषित 5 विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह क्रमशः बैगा पहाड़ी कोरवा, अबूझमाड़िया, कमार एवं बिहरोर निवासरत है। इनके लिए समग्र विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु 6 विशेष रुप से कमजोर जनजाति विकास अभिकरण एवं 9 प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
सरकार का पूरा प्रयास हैं कि जनजातीय बाहुल्य इलाकों में संविधान की पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत जो विशेष प्रावधान उल्लेखित है वह सुनिश्चित होना चाहिए ताकि जनजातीय समुदाय अपने संविधान प्रदत्त अधिकारों से वंचित न रहा जाए। यही कारण हैं की निरन्तर अलग-अलग स्तरों पर संविधान द्वारा उन्हें दिए गए अधिकारों के प्रति जागरूक करने का प्रयास हो रहा हैं ताकि पांचवी अनुसूची जैसे विशेष प्रावधानों से उन्हें संरक्षण मिले। (Chhattisgarh government’s efforts for the protected tribes of the state) अन्य जनजातियों के अतिरिक्त राज्य सरकार विशेष रूप से अति पिछड़े व संरक्षित जनजातियों में शामिल बैगा, भुंजिया, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिहरोर व अबूझमाड़ियाँ को मुख्यधारा से जोड़ने, उन्हें सभी तरह के शासकीय योजनाओ का लाभ दिलाने और खासकर इस जनजाति के युवाओं को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। इन्ही प्रयासों का परिणाम हैं की अब बस्तर के युवा छात्रों को राज्य के शासकीय योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है, उनका चयन देश के सबसे बड़े आईटी संस्थानों के साथ संघ लोकसेवा आयोग जैसो प्रतियोगी परीक्षाओं में हो रहा हैं। आज हम सरकार द्वारा संरक्षित जनजाति हेतु शिक्षा के क्षेत्र में संचालित अति महत्वपूर्ण योजनाओं का उल्लेख करेंगे।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने राज्य के विकास को अधिक बढ़ाने और युवाओं को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। जो युवा वर्ग अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के अंतर्गत बेहद प्रतिभाशाली हैं वह पैसों की कमी की वजह से पीछे रह जाते हैं परंतु अब छत्तीसगढ़ की योजना की वजह से ऐसा नहीं होगा। इस योजना से जुड़े संपूर्ण जानकारी के लिए हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े। इस योजना के तहत जो छात्र छत्तीसगढ़ सिविल सेवा परीक्षा को पास करते हैं उन्हें ₹100000 की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी और साथ ही अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के प्रतिभावान छात्रों को मुफ्त में कोचिंग की सुविधा भी प्रदान की जाएगी ताकि वे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो सके।
पात्रता:
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राजीव युवा उत्थान योजना आरंभ की गई है। इस योजना के माध्यम से प्रदेश के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क कोचिंग प्रदान की जाएगी। इसके अलावा विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। इस योजना का लाभ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्ग के छात्र यूपीएससी की कोचिंग के लिए प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत प्रतिमाह छात्र को ₹1000 की छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। (Chhattisgarh government’s efforts for the protected tribes of the state) इस योजना के संचालन से अब प्रदेश के छात्रों को कोचिंग प्राप्त करने के लिए किसी पर भी निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार उनको निशुल्क कोचिंग प्रदान करेगी। वह सभी उम्मीदवार जो इस योजना का लाभ प्राप्त करने में रुचि रखते हैं वे राजीव युवा उत्थान योजना के अंतर्गत ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन किया जा सकता है। राजीव युवा उत्थान योजना के तहत निम्न उपयोजनाएँ संचालित हैं।
नक्सल प्रभावित जिलों के बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु शिक्षा, आवास, भोजन, खेल एवं मनोरंजन आदि सुविधा प्रदान कर संरक्षक की भूमिका निभाते हुए रोजगार में स्थापित कर जीवन मे स्थायित्व पैदा करना इस योजना का उद्देश्य है। जब यह योजना 2010 में प्रारंभ हुई, उस समय बजट प्रावधान 200.00 लाख था। वर्ष 2022-23 में इस योजना हेतु राशि रूपये 3353.10 लाख का प्रावधान किया गया है। इस योजना के चार घटक निम्नानुसार है :
1. आस्था : नक्सल हिंसा से अनाथ हुए बच्चों के लिए दन्तेवाड़ा जिले में आस्था गुरूकुल विद्यालय संचालित है । इस विद्यालय में कक्षा पहली से 12 वीं तक अध्ययन की निःशुल्क व्यवस्था है तथा पूरे वर्ष भर निःशुल्क आवासीय सुविधा दी जाती है। वर्ष 2007 में यह योजना प्रारंभ की गई थी, तब 64 विद्यार्थी थे। वर्ष 2022-23 में संस्था में बालक 88 एवं कन्या 106 कुल 204 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इस योजना में विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा, आवास, भोजन, खेल एवं मनोरंजन की सुविधाएं प्रदाय की जाती हैं।
2. निष्ठा : इस योजना के अंतर्गत नक्सल हिंसा में मृत माता-पिता के बच्चे / पीड़ित परिवार के बच्चे तथा प्रभावित ग्राम / क्षेत्र के बच्चे प्रदेश के राजनांदगांव जिले में निजी शैक्षणिक संस्थाओं में अध्ययन कर रहें है। शासन द्वारा निजी संस्थाओं के प्रबंधन से चर्चा करके विद्यार्थियों को निःशुल्क प्रवेश दिलाया जाता है। जिला प्रशासन की अनुशंसा पर विद्यार्थी पर हुए कुल व्यय के 25 प्रतिशत शिक्षण शुल्क के रूप में राशि की प्रतिपूर्ति निजी संस्थाओं को की जाती है। वर्तमान में इस योजना के तहत नक्सल हिंसा प्रभावित ग्राम / क्षेत्र के वर्ष 2022-23 में 81 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। वर्ष 2020-21 से यह योजना बंद कर दी गई है, जिसके फलस्वरूप नये विद्यार्थियों को प्रवेश नही दिया जा रहा है।
3. सहयोग : सहयोग के अंतर्गत नक्सल हिंसा से बेसहारा हुए बच्चों को कॉलेज स्तर तक की पढ़ाई की सुविधा देने का प्रावधान है।
4. प्रयास : स्व. राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा प्रयास आवासीय विद्यालय प्रदेश के संपूर्ण अनुसूचति क्षेत्र सहित गैर अनुसूचित क्षेत्र में स्थित नक्सल प्रभावित जिले के आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के विद्यार्थियों को कक्षा 9वीं से 12 तक हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी स्तर के अध्यापन के साथ-साथ इंजीनियरिंग, मेडिकल, सीए / सीएस / सीएमए, क्लैट, एनटीएससी इत्यादि की कोंचिग प्रदान कर इन विद्यार्थियों को स्वय की प्रतिभा के बल पर सफल होने योग्य बनाने का प्रयास किया जाता है। यह विद्यालय 26 जुलाई 2010 प्रारंभ हुई।
वर्तमान में रायपुर जिले में बालक एवं कन्या हेतु पृथक-पृथक प्रयास आवासीय विद्यालय सडडू एवं गुढ़ियारी से संचालित है। इसके अतिरिक्त बिलासपुर, सरगुजा, दुर्ग, बस्तर कांकेर, कोरबा तथा जशपुर जिलों में छात्र-छात्राओं हेतु कुल 09 प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित किये जा रहे है। इनके सर्वागीण विकास को ध्यान में रखते हुए इन्हें एक ही परिसर में रखकर स्कूली शिक्षा, कोंचिग इत्यादि की सुविधा प्रदान करते हुए इनके कॅरियर को उज्जवल बनाने का प्रयास किया जाता है। इन विद्यालयो में विद्यार्थियों को अध्यापन एवं कोचिंग निजी कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से प्रदान किया जाता है।
अनुसूचित क्षेत्रों में विज्ञान एवं वाणिज्य विषय की कमी को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आर्यभटट विज्ञान एवं वाणिज्य शिक्षण प्रोत्साहन योजना जिला दुर्ग में संचालित है, जिससे क्षेत्र में आदर्श शिक्षक तैयार हो सकें। संस्था में विज्ञान (गणित एवं जीव विज्ञान संकाय) तथा वाणिज्य विषय में कक्षा 12वीं उत्तीर्ण छात्राओं को विभिन्न महाविद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाता है। (Chhattisgarh government’s efforts for the protected tribes of the state) सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत् छात्र-छात्राओं को स्नातक, स्नाकोत्तर एवं बी। एड तक निःशुल्क शिक्षा दी जाती है। संस्था में प्रवेश प्रथम वर्ष में दिया जाता है। बीएससी, गणित, विज्ञान संकाय एमएससी, बीकॉम, एमकॉक बीएड आदि शामिल है। इसके लिए छात्र-छात्रा अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति वर्ग का होना आवश्यक है। साथ ही आवेदक का निवास प्रमाण पत्र अनुसूचित क्षेत्र का होना अनिवार्य है। वहीं छात्र-छात्रा को विज्ञान या गणित विषय के साथ 12वी उत्तीर्ण किया हो।
इन वर्ग के विद्यार्थियों को विज्ञान एवं वाणिज्य विषय के अध्ययन एवं अध्यापन को प्रोत्साहित करने हेतु विभाग द्वारा दुर्ग एवं जगदलपुर में 500-500 सीटर विज्ञान एवं वाणिज्य शिक्षण केन्द्र स्थापित किया गया है। इन क्षेत्रों में शिक्षकों की पूर्ति हेतु वर्ष 2013-14 से यह अभिनव योजना प्रारंभ की गई है। इसके अंतर्गत स्नातक स्तर पर गणित विषय हेतु 80, जीव विज्ञान हेतु 80, वाणिज्य हेतु 40 सीटें हैं। स्नातकोत्तर कक्षा में विज्ञान हेतु 80, वाणिज्य हेतु 20 सीटे हैं। बी.एड. हेतु कुल 200 सीट स्वीकृत हैं। योजना अंतर्गत चयनित विद्यार्थियों जिन्होंने ने स्नातक-स्नाकोत्तर शिक्षा विज्ञान एवं वाणिज्य विषयों के साथ जारी रखी है, उन्हें शिक्षक के पदों पर नियुक्ति हेतु आयोजित की जाने वाली प्री. बी. एड. तथा टी.ई.टी. परीक्षा हेतु मार्गदर्शन एवं आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जाता है।
यह भारत सरकार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय नई दिल्ली द्वारा प्रवर्तित योजना है। अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक एवं समग्र विकास के लिए “मल्टी सेक्टोरल डेव्हलपमेंट प्रोग्राम” (संशोधित योजना का नाम-प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम) को जशपुर जिले में लागू किया गया है। योजनान्तर्गत जशपुर जिले के 05 विकासखण्ड (जशपुर, मनोरा, दुलदुला, कुनकुरी एवं कांसाबेल ) को अल्पसंख्यक विकासखण्ड के रूप में चयनित किया गया है।
12वीं पंचवर्षीय योजना की अवधि के दौरान चिन्हित अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र के असंतुलन को कम करने एवं इस समुदाय के सदस्यों को बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई इस योजना में केन्द्रांश 75 प्रतिशत एवं राज्यांश 25 प्रतिशत है।
इस योजना के अंतर्गत शिक्षा के लिए आधारभूत संरचना, शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पक्के आवास, सड़क पेयजल, आय के अवसर उत्पन्न करने वाली योजनाओं के बीच की कमी को भरने एवं अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। योजनान्तर्गत कुल 924 कार्य स्वीकृत है। जिसमें 727 कार्य पूर्ण, 17 कार्य प्रगतिरत एवं 180 कार्य प्रारंभ है। केन्द्रांश राशि रु. 2300.11 लाख एवं राज्यांश रु. 1171.86 लाख, इस प्रकार कुल रु. 3471.97 लाख जिला जशपुर को योजना के क्रियान्वयन हेतु पुनराबंटित की गई है।
माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश के अनुपालन में बस्तर, रायपुर, सरगुजा, बिलासपुर एवं दुर्ग संभाग की अनेक संस्थाओं का आदर्श छात्रावास के रूप में उन्नयन किया गया है, ताकि बच्चों को एक बेहतर वातावरण में शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरगुजा संभाग के 04 जिले क्रमशः सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर एवं कोरिया में प्रत्येक जिले में 10 छात्रावास / आश्रम एवं जशपुर जिले में 12 छात्रावास / आश्रम कुल 52 संस्थाओं को तथा कोरबा जिले में 12 एवं GPM (गौरेला-पेण्ड्रा मरवाही) में 06, इस प्रकार कुल 70 संस्थाओं को आदर्श छात्रावास के रूप में उन्नयन किया जाना क्रियान्वित किया गया। इसी प्रकार वर्ष 2022-23 में जिला मुंगेली, बलौदाबाजार एवं बेमेतरा में 5-5 जिला दुर्ग, रायगढ़ एवं रायपुर के 10-10 तथा जिला बालोद, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, महासमुंद, कबीरधाम एवं राजनांदगावं की 8-8 संस्थाओं, इस प्रकार कुल 93 छात्रावास / आश्रम शाला भवनों को आदर्श संस्था में उन्नयन किए जाने हेतु जिले को निर्देश जारी किए गए हैं। छात्रावास / आश्रम शाला भवनों के आदर्श रूप में उन्न्यन हेतु राशि रु. 2325.00 लाख की स्वीकृति विभाग द्वारा की गई है। कार्यो को पूर्ण करा लिया गया है। संस्थाओं को आदर्श संस्था के रूप में उन्नयन किए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है।
शासन द्वारा निम्न क्षेत्रों में भी प्रदेश के अति पिछड़े जनजातियों के विकास व कल्याण हेतु योजनाओं का संचालन किया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पिछले माह अप्रेल में मुख्यमंत्री निवास परिसर में गरियाबंद, महासमुंद और धमतरी जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति भुंजिया और कमार समाज के प्रतिनिधि मण्डल ने मुलाकात की। इस भेंट के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के हितों का संरक्षण राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। राज्य सरकार ने पिछले 4 सालों में अनुसूचित जनजाति के हितों में अनेक फैसले लिए हैं।
मुलाकात के दौरान छत्तीसगढ़ शासन के आदिम जाति कल्याण मंत्री डॉ। प्रेमसाय सिंह टेकाम, संसदीय सचिव श्री विनोद सेवन लाल चंद्राकर, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ। कमलप्रीत सिंह, समाज के प्रतिनिधि श्री नवतू राम, श्री गुंजलाल कमार उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने सीधी भर्ती के संबंध में युवाओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया।