Himachal Old Pension yojna 2023

पुरानी पेंशन को लेकर आया बड़ा अपडेट, आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष ने कही दिवालिया घोषित होने की बात

Himachal Old Pension yojna 2023 हिमाचल प्रदेश की पुरानी पेंशन योजना पर अपडेट, जानें OPS पर क्या बोले आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष

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Modified Date: January 7, 2023 / 07:04 PM IST
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Published Date: January 7, 2023 7:03 pm IST

Himachal Old Pension yojna 2023: चुनावों में गरम रहा पुरानी पेंशन का मुद्दा आज भी चर्चाओं में है। देश के 4 राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद बाकि के राज्यों में भी अब इसे लागू करने को लेकर मांग तेज हो गई है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद अब कांग्रेस की नवनिर्वाचित सरकार की हिमाचल प्रदेश में ओपीएस को बहाल करने की तैयारी में है। इसी बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया का एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ा बयान सामने आया है।

पुरानी पेंशन लागू करना बेतुका विचार

Himachal Old Pension yojna 2023: पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने राज्य सरकारों को आगाह करते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना एक प्रतिगामी कदम हो सकता है और वित्तीय दिवालियापन की ओर ले जा सकता है। देश और दुनिया आज जिन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है, उसे देखते हुए इसे लाने का कदम एक ‘बेतुका विचार’ हो सकता है। कुछ समय पहले उन्होंने कहा था कि ओपीएस राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले सबसे बड़े सेस में से एक है। विशेष रूप से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्सर राजनीतिक दलों के स्वतंत्र लगाम की संस्कृति को विकसित करने और बढ़ावा देने के खिलाफ बात की थी।

पहले भी दे चुके है बड़ा बयान

Himachal Old Pension yojna 2023: इससे पहले पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया का एक और बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को वापस लाना सबसे बड़ी ‘रेवड़ियों’ में से एक होगा। पुरानी पेंशन योजना को यद‍ि वापस लाया जाता है तो यह सरकार की सबसे बड़ी ‘रेवड़ियों’ में से एक होगा। पीएम मोदी ने रेवड़ी (फ्री ग‍िफ्ट) को लेकर सही कहा है। हर कोई राजकोषीय घाटे को कम करने की बात करता है लेकिन कोई भी निश्चित व्यय से छुटकारा पाने सॉलिड उपाय नहीं ढूंढता है। हमें अमेरिका या यूरोप में मंदी है या नहीं, इस बात पर ध्यान देने के बजाय भारतीय अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है।

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