Doodh Ganga Yojana: देश में किसानों को ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें कई तरह की योजनाएं चला रही है। जिनके माध्यम से खेती-किसान, बागवानी, पशुपालन, मछली पालन और कृषि क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए किसानो को प्रोत्साहित किया जा रहा है। एवं आर्थिक अनुदान एवं प्रशिक्षण देकर किसानों, पशुपालकों, महिलाओं किसान और युवाओं को स्वरोजगार के साधान दे रही है। इसमें नाबार्ड और बैंक एक अहम रोल अदा करते हैं।
इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए डेयरी फार्मिंग का अहम योगदान को ध्यान में रखते हुए। राज्य में दूध गंगा योजना (डेयरी वेंचर कैपिटल फंड) को चला रही है। योजना के माध्यम पशुपालन को किसानों के बीच लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों पशुपालकों को बड़े स्तर पर डेयरी फार्मिंग चलाने के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है।
किसानों को डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय लगाने के लिए सस्ते ब्याज दरों पर लगभग 30 लाख रुपये तक का लोन दिया जा रहा है। साथ इस लोन पर राज्य सरकार की तरफ से अच्छी खासी सब्सिडी भी दी जा रही है। दूध गंगा योजना ऑनलाइन आवेदन करके डेयरी फॉर्म खोलने के लिए सरकार से अच्छी खासी दर पर लोन उठा सकते है। दूध डेयरी फॉर्म खोल सकते हैं और इससे अच्छी खासी आमदनी भी कर सकते हैं। ट्रैक्टरगुरु के इस लेख में हम आपके लिए हिमाचाल प्रदेश सरकार के द्वारा चलाई जा रही दूध गंगा योजना के अंतर्गत आवेदन करने की जानकारी लेकर आए है।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ाने के दूध गंगा (डेयरी वेंचर कैपिटल फंड) योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना को भारत सरकार की डेयरी इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत चलाई जा रही है। दूध गंगा (डेयरी वेंचर कैपिटल फंड) योजना को राज्य सरकार की पशुपालन और डेयरी विभाग ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की सहायता से साल 2010 में लॉन्च किया गया था।
Doodh Ganga Yojana: योजना का उद्देश्य राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देना था। वहीं, किसान दुग्ध उत्पादन कर अच्छा लाभ अर्जित कर सके। इसके लिए राज्य सरकार किसानों को उन्नत नस्ल की गाय और भैंसों की खरीद पर सब्सिडी लोन दिया जाता है। पशुपालकों और दुग्ध उद्यमी को सरकार के द्वारा 30 लाख तक का लोन दिया जाता है और उन सभी को यह लोन कम ब्याज पर दिया जाता है।
दूध गंगा (डेयरी वेंचर कैपिटल फंड) योजना के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को आर्थिक अनुदान पर डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन प्रदान कर रही है। यह लोन किसानों के द्वारा गाय-भैंसों की खरीद के लिए दिया जा रहा है। ताकि किसान पशुपालक अनुदान पर गाय-भैंसों की खरीद कर स्वयं की डेयरी स्थापित कर पाए। तथा जिससे किसानों और पशुपालकों की आमदनी बढेगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
किसानों को डेयरी फार्मिंग का व्यवसाय शुरू करने के लिए दूध गंगा योजना के माध्यम से सस्ते ब्याज दर व सब्सिडी पर लोन दिया जा रहा है। जिसमें सरकार द्वारा इस लोन पर एससी, एसटी वर्ग के किसानों को 33 प्रतिशत एवं सामान्य वर्ग के किसानों को 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। वहीं, योजना के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त सब्सिडी की सुविधा भी दी जा रही है। प्रदेश सरकार योजना के तहत लिए गए लोन राशि से देशी गाय व भैंस खरीदने पर 20 प्रतिशत और जर्सी गाय खरीदने पर 10 प्रतिशत सब्सिडी भी देती है।
Doodh Ganga Yojana: दूध गंगा योजना को हिमाचल प्रदेश के सरकार के द्वारा राज्य में राष्ट्र कृषि और ग्रामीण विकास बैंक के माध्यम से चलाया जा रहा है। दूध उत्पादन के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए सभी किसान पशुपालकों और दुग्ध उद्यमी को लोन दिया जा रहा है। यह लोन कम ब्याज पर व सब्सिडी के साथ दिया जा रहा है। योजना के तहत डेयरी फार्मिंग के लिये अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग दरों से लोन दिया जाता है। जिनमें किसानों को 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए 5 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है।
योजना के तहत 5 से 20 बछड़ा पालन के लिए 4.80 लाख रुपए का ऋण उठा सकते है। इसके अलाव वर्मी कम्पोस्ट (दुधारू गायों के इकाई के साथ जुड़ा होगा) के लिए 20.00 लाख रुपए का लोन दिया जाता है। वहीं, दूध उत्पादन मशीन/मिल्कोटैस्टर/बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक) के लिए 18.00 लाख रुपए का ऋण प्रदान करना। और डेयरी उत्पादों के परिवहन के लिए भी 24 लाख रुपये का ऋण मिल सकता है। दूध से देसी उत्पाद बनाने की इकाइयों के लिए लगभग 12.00 लाख तक ऋण लिया जा सकता है। एवं दूध व दूध उत्पादों के शीत भंडारण यानि कोल्ड स्टोरेज के लिए 30.00 लाख रुपए तक लोन मिल सकता है।