#SarkarOnIBC24 : मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र, Congress ने खोला मोर्चा.. BJP ने कसा तंज

MP Assembly Winter Season : मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी कल से शुरू हो रहा है जिसके हंगामेदार रहने के आसर बन रहे हैं।

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  • Publish Date - December 15, 2024 / 11:21 PM IST,
    Updated On - December 15, 2024 / 11:21 PM IST

भोपाल : MP Assembly Winter Season : मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी कल से शुरू हो रहा है जिसके हंगामेदार रहने के आसर बन रहे हैं। सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस ने विधानसभा के घेराव की रणनीति तैयारी कर ली है, तो वहीं खाद संकट, लाडली बहना की राशि बढाने समेत गेहूं और सोयाबीन की MSP पर भी सदन के गरमाने के पूरे आसार हैं। कांग्रेस की तैयारी को देखते हुए बीजेपी भी हमलावर मोड में आ गई है।

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MP Assembly Winter Season : मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र की तैयारियां जोरों पर हैं। विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए सवालों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर ली है, तो वहीं सत्ता पक्ष भी पूरी तैयारी के साथ सदन में नजर आने वाला है। विधानसभा का शीतकालीन सत्र यूं तो महज 5 दिन का ही है, लेकिन 20 दिसंबर तक चलने वाले सत्र के दौरान विधायकों के तारांकित और अतारांकित समेत 1766 प्रश्नों के जवाब सरकार देगी। इसके अलावा ध्यानाकर्षण के 178, स्थगन प्रस्ताव के 1, अशासकीय संकल्प की 14 और शून्यकाल की 47 सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।इस सत्र में 8 विधेयकों पर चर्चा भी की जाएगी.. इसके अलावा अमरवाड़ा, बुधनी और विजयपुर से नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ भी दिलाई जाएगी।

सरकार एक तरफ जहां सत्र को सुचारू रूप से चलाने की तैयारी कर रही तो दूसरी तरफ सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस ने विधानसभा के घेराव का ऐलान कर दिया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के घर कांग्रेसियों ने रविवार को इसकी रणनीति बनाई।

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MP Assembly Winter Season : कांग्रेस बिगड़ती कानून व्यवस्था, खाद- बीज का संकट, लाडली बहना योजना की राशि बढ़ाकर 3 हजार रुपए प्रतिमाह करने, 2 लाख युवाओं के लिए तत्काल भर्ती निकालने, गेहूं की एमएसपी 31सौ और सोयाबीन के दाम 6 हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रही है। कर्ज की स्थिति पर सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की भी मांग है।

वाद-विवाद और संवाद संसदीय लोकतंत्र की पहचान है। इसी के चलते ये है नियम है कि विधानसभा की दो बैठकों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए। यही वजह है कि विधानसभा की बैठकों पर सबकी नजरे लगी रहती है। विधानसभा की बैठके सरकार को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाता है।विपक्ष के साथ सरकार को भी अपना पक्ष रखने का मौका देती हैं।

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