नई दिल्ली: एक तरफ मोदी के ध्यान को लेकर सियासी खींचतान मची है तो दूसरी तरफ महात्मा गांधी को लेकर भी घमासान जारी है। इसकी शुरूआत हुई पीएम मोदी के एक बयान से, एक टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा कि रिचर्ड एटनबरो की 1982 की फिल्म गांधी बनने तक दुनिया को महात्मा गांधी के बारे ज्यादा पता नहीं था। बयान आने की देरी थी कि कांग्रेस समेत कई नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी और बीजेपी और मोदी पर गोडसे को लेकर तंज कसा।
लोकसभा चुनाव के आखिरी इम्तिहान से पहले पीएम मोदी के महात्मा गांधी की पहचान पर दिए एक बयान पर घमासान मचा है। कांग्रेस के कई नेताओं ने पीएम मोदी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इधर प्रियंका गांधी ने पीएम को बयान को महज PR स्टंट बताया, तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम को गांधी जी के बारे में पढ़ने की सलाह दे डाली।
कांग्रेस ने पीएम पर वार किया कि महात्मा गांधी को लेकर शाखा शिक्षित से प्रमाण की जरूरत नहीं तो ओवैसी ने भी X पर लिखा।
गांधी किसी पिक्चर के मोहताज नहीं। गांधी जी के जीते-जी ही उनकी सोच और उनकी ताकत को दुनिया ने पहचान लिया था। RSS के शाखाओं में भले ही गांधी से नफरत की जाती है। लेकिन बाकी दुनिया गांधी का सम्मान करती है। मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जैसे लोगों ने अगर अहिंसा का रास्ता चुना तो उसकी जगह गांधी ही थे। बीजेपी के नेता गोडसे को देश भक्त बताते हैं, कम से कम उन्हें ही ये पिक्चर दिखा देते।
कुल मिलाकर 24 की लड़ाई में सभी 7 चरणों में M फैक्टर की चर्चा रही। चुनावी रैलियों में मटन, मछली, मंगलसूत्र और मुजरा जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। पहले चरण में इसकी शुरुआत आधी आबादी यानी महिला से हुई। जो आखिरी इम्तिहान तक आते-आते महात्मा तक पहुंच गया। अब सवाल है कि ऐसे बयानों को जनता ने कितना पसंद किया और इसका इंपैक्ट 4 जून को जब नतीजे आएंगे तो कितना दिखेगा।