रायपुर : Baloda Bazar Violence Case : बलौदाबाजार हिंसा मामले में दिलचस्प मोड आ गया है। बीजेपी को घेरने की कोशिश में जुटी कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी से खुद घिरती दिख रही है। शनिवार को देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी को लेकर छत्तीसगढ़ में जहां जमकर सियासी ड्रामा चला, तो वहीं आज कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साफ कर दिया कि पूरी छत्तीसगढ़ कांग्रेस देवेंद्र यादव के साथ है। कांग्रेस और बीजेपी में इसे लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है तो वहीं कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर बड़े आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है।
Baloda Bazar Violence Case : कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी ने छतीसगढ़ की सियासत में भूचाल ला दिया है। बलौदाबाजार हिंसा को कानून-व्यवस्था से जुड़ा मसला बनकर बीजेपी को घेरने में जुटी कांग्रेस अब खुद बैकफुट पर है। पुलिस ने विधायक देवेंद्र यादव को बलौदाबाजार हिंसा मामले में कथित भूमिका को लेकर शनिवार को दुर्ग से गिरफ्तार किया था। देवेंद्र यादव पर आरोप है कि 10 जून को बलौदाबाजार में लोगों को भड़काया। जिसके चलते बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी हुई। कोर्ट ने देवेंद्र यादव को 3 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा है फिलहाल उन्हें रायपुर के सेंट्रल जेल में रखा गया है। दूसरी ओर कांग्रेस देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी से भड़क गई। कांग्रेस नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसे सरकार के इशारे पर उठाया कदम बताकर निशाना साधा।
कांग्रेस जहां देवेंद्र यादव की गिरफ्तार को सियासी चश्मे से देख रही है तो वहीं उसने इसे बड़ा मुद्दा बनाने का भी फैसला कर लिया है। कांग्रेस विधायक दल की 20 अगस्त को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के घर बैठक बुलाई गई है। जिसमें गिरफ्तारी पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। दूसरी ओर बीजेपी कार्रवाई को सही ठहराते हुए देवेंद्र यादव पर बार-बार पूछताछ के लिए जारी नोटिस की अनदेखी पर सवाल उठा रही है।
Baloda Bazar Violence Case : बलौदाबाजार में 10 जून को सतनामी समाज के धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। उग्र भीड़ ने कलेक्ट्रेट और एसपी कार्यालय तक को फूंक दिया था। शांति का टापू माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। इस मामले पर सियासत अपनी जगह है।लेकिन इस हिंसा के पीछे जो भी लोग हैं। चाहे वो आम लोग हो या फिर उनका सियासी रसूख कितना भी क्यों ना हो। उन्हें कानून के कटघरे में लाना जरूरी है ताकि ऐसी घटना छत्तीसगढ़ में फिर कभी नहीं दोहराई जा सके।