#SarkarOnIBC24 : शंकराचार्य का बयान.. तेज हुआ घमासान, सियासी बयानबाजी के आरोप पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का पलटवार

#SarkarOnIBC24 : ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों पर सियासी घमासान अभी थमा नहीं है। शंकराचार्य अब तब बीजेपी नेताओं के ही

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  • Publish Date - July 17, 2024 / 11:10 PM IST,
    Updated On - July 17, 2024 / 11:10 PM IST

नई दिल्ली : #SarkarOnIBC24 : ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के बयानों पर सियासी घमासान अभी थमा नहीं है। शंकराचार्य अब तब बीजेपी नेताओं के ही निशाने पर थे, लेकिन अब शिवसेना के शिंदे गुट के नेता संजय निरुपम भी खुलकर उनके खिलाफ हो गए हैं। दूसरी ओर शंकराचार्य ने भी नेताओं को नसीहत देते हुए साफ कह दिया कि नेताओं को भी धर्मिक मामलों में गैर जरुरी हस्तक्षेप से बचने की जरूरत है।

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#SarkarOnIBC24 : उत्तराखंड ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ये करारा जवाब उन नेताओं को है। जो उन्हें धर्मिक विषयों पर बोलने और सियासी बयान से परहेज करने की नसीहते दे रहे है। शंकराचार्य ने बिना लाग लपटे के कहा कि राजनीतिज्ञों को भी धार्मिक विषयों से दूर रहना चाहिए। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ये नाराजगी भरा बयान यूं ही नहीं आया। बल्कि इसकी शुरूआत तभी से हो गई थी। जब शंकराचार्य मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिले थे और उनके साथ उद्धव के साथ विश्वासघात की बात कही थी। तभी से वो बीजेपी नेताओं के निशाने पर है। माधवी लता और आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उन्हें सियासी बयानों से परहेज करने की नसीहत दी थी। अब शिवसेना नेता संजय निरूपम ने भी शंकराचार्य के विश्वासघात वाले बयान पर आपत्ति जताई। जिस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने ये भी बिना लाग लपेट के बयान दिया।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना चोरी होने का विवाद भी अभी थमा नहीं है। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने उन्हें चुनौती दी कि बयानबाजी करने की बजाय इससे जुड़े सबूत पेश करें। केदारनाथ की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाएं।

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#SarkarOnIBC24 : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात वाला बयान धार्मिक या नैतिक नजरिए से सही हो सकता है, लेकिन जब बात सियासत की होती है तो यहां नियम कायदे और नैतिकता से जुड़े प्रश्न अक्सर बौने हो जाते हैं। क्योंकि सत्ता के लिए सभी पार्टियां साम दाम दंड भेद हर तरह की रणनीति का इस्तेमाल करती है। जहां तक देश की मौजूदा सियासत की बात है इसमें धर्म इतनी गहराई तक गुथ गया है कि दोनों को एक दूसरे से अलग करना मुश्किल नजर आ रहा है।

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