Sarkar On IBC24: जबलपुर : चुनाव में जिस वर्ग की जितनी बड़ी संख्या, चुनाव में उनका उतना ही बड़ा दबदबा मध्यप्रदेश में आदिवासी समाज को अपने पाले में रखने या लाने के लिए योजनाओँ और घोषणाओँ की झड़ी लगी है। पक्ष हो या विपक्ष आदिवासी महापुरूषों की याद में एक के बाद आयोजनों के जरिए दोनों पक्ष आदिवासियों का सच्चा हितैषी बनने की होड़ में हैं, और ये होड़ इतनी जबरदस्त है कि अब बात आदिवासियो के DNA तक आ चुकी है।
चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में आदिवासी फिर से राजनीति का हॉट टॉपिक बना हुआ है..बीजेपी-कांग्रेस में जुबानी जंग छिड़ी हुई है. दोनों राजनीतिक दल खुद बड़ा आदिवासी हितैषी और सामने वाले को विरोधी बताने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं..वादों और दावों के सियासत के बीच जबलपुर में आदिवासियों के नायक राजा रघुनाथ शाह और शंकरशाह के बलिदान दिवस पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खुद को बीजेपी को आदिवासियों का सबसे बड़ा हमदर्द बताया।
एक ओर जबलपुर में सीएम शिवराज ने आदिवासियों को अपने पाले में लाने कई बड़े ऐलान किए तो..दूसरी ओर पीसीसी चीफ कमलनाथ भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में ये संदेश देने की कोशिश की है कि जनजाति वर्ग हमेशा कांग्रेस के साथ है..और बीजेपी सरकार की नियत पर सवाल भी उठाए।
कुल मिलाकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल आदिवासियों के साथ होने का दावा कर अपने अपने तर्क दे रहे हैं..इसकी वजह विधानसभा चुनाव है..जिसका काउंटडाउन शुरू हो चुका है..जाहिर है मध्यप्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है..जबकि 84 सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक हैं..यानी आदिवासी वोटर्स का आशीर्वाद जिस दल को मिलेगा..उसकी सत्ता में आने की संभावना बढ़ जाएगी।