नई दिल्ली: 2024 लोकसभा चुनाव के परिणाम ऐतिहासिक रहे। पीएम मोदी ने अगर जीत की हैट्रिक लगाई, तो वहीं देश को पूरे 10 साल बाद ना केवल मजबूत विपक्ष मिला। बल्कि अब कांग्रेस को भी आधिकारिक रूप से लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद मिल गया है। INDIA गठबंधन के नेता भी राहुल गांधी के नाम पर मुहर लगा चुके है। राहुल गांधी अब देश की सियासत में एक नई भूमिका में नजर आने वाले हैं।
नेता प्रतिपक्ष बनते ही राहुल गांधी ने अपने तेवर से साफ कर दिया कि सदन में इस बार मोदी 3.0 के लिए चुनौती आसान नहीं रहने वाली मंगलवार शाम को ही इंडिया गठबंधन की ओर से ऐलान किया गया कि राहल गांधी नेता प्रतिपक्ष होंगे। अगले ही दिन सदन में राहुल गांधी का नया अवतार दिखा। अक्सर जींस और टी-शर्ट में नजर आने वाले राहुल परंपरागत परिधान पजामा कुर्ते में दिखे। लोकसभा स्पीकर के चुनाव के बाद राहुल पीएम मोदी और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू के साथ नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिरला को उनकी कुर्सी तक ले गए। उनसे हाथ मिलाया। पीएम मोदी के बाद राहुल गांधी ने ओम बिरला के स्पीकर चुने जाने पर स्वागत भाषण में ही जता दिया कि इस बार सरकार विपक्ष को कमतर ना आंके।
वैसे तो राहुल गांधी को राजनीति में एंट्री किए पूरे 20 साल हो चुके हैं। राहुल गांधी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2004 में अमेठी से लड़ा था। इसके बाद के दो दशक उनके सियासी करियर में कई उतार चढ़ाव भरे रहे, लेकिन 2024 का चुनाव उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। राहुल की अगुवाई में कांग्रेस लोकसभा सीटों का आंकड़ा 52 से 99 तक पहुंचा पाई। कांग्रेस को अब इसका फायदा लोकसभा में विपक्षी दल के नेता के पद के रूप में मिला है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के नेताओं ने उन्हें बधाई दी।
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एक ओर इंडिया अलायंस के नेताओं ने जहां राहुल गांधी को बधाई दी। वहीं विपक्षी नेताओं ने राहुल गांधी की काबिलियत पर सवाल खड़े किए। लोकसभा में पिछले 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा. कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी इसके लिए जरूरी 55 लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी। 2014 के चुनाव में कांग्रेस को 44 और 2019 में 52 सीटें मिली थी, लेकिन 2024 में 99 सीटों के साथ कांग्रेस लोकसभा में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी।
राहुल गांधी अब नेता प्रतिपक्ष के तौर पर पहली बार कोई संवैधानिक पद पर होंगे। जाहिर तौर पर कांग्रेस के लिए ये बूस्टर का काम करेगा। इस पद के महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि सदन में प्रधानमंत्री के बाद नेता प्रतिपक्ष की बात का भी वजन होता है। ऐसे में अब सबकी नजर प्रधानमंत्री के भाषणों के साथ-साथ इस बात पर भी रहेगी कि नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में राहुल गांधी सरकार को कैसे काउंटर कर पाते हैं।