रायपुर : #SarkarOnIBC24 : छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव होना है। राज्य सरकार ने इसके लिए परिसीमन की प्रक्रिया शुरु कर दी है, लेकिन अब अपने पक्ष में परिसीमन के दावों के साथ कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने आ गए हैं। आखिर निकाय चुनाव से पहले परिसीमन को लेकर क्यों मचा है बवाल किसे होगा परिसीमन से लाभ और नुकसान?
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनावी की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। प्रदेश के 14 नगर पालिक निगमों, 48 नगर पालिकाओं और 122 नगर पंचायतों में लगभग 3 हजार वार्ड हैं। जिनका परिसीमन शुरू हो गया है। जिन वार्डो में मतदाताओं की संख्या ज्यादा है उनके नाम दूसरे वार्ड में जोड़े जाएंगे। कई निकायों में अतिरिक्त क्षेत्र जोड़े गए थे। उनमें भी नए सिरे से पारिसीमन की प्रक्रिया की जाएगी। इसके पीछे शासन की मंशा है कि एक निकाय क्षेत्र के सभी वार्डों में जनसंख्या एक जैसी हो। प्रदेश के 10 नगर निगमों समेत अधिकांश नगरीय निकायों में इस साल के अंत में चुनाव होंगे। कुछ निकायों में 2025 में चुनाव होगा।यही वजह है कि हर बार की तरह इस बार भी परिसीमन को लेकर सियासत तेज है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा परिसीमन के जरिए सियासी फायदा उठाना चाहती है और इसी के अनुसार वार्डों का बंटवारा कर रही हैं। कांग्रेस ने परिसीमन पर दावा आपत्ति के लिए सभी निकायों में जांच समिति तक गठित कर दी है। दूसरी ओर भाजपा का दावा है कि ये काम तो कांग्रेस ने किया था। भाजपा के शासन में तो सभी काम प्रक्रिया के तहत ही किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव चाहे प्रत्यक्ष प्रणाली से हो या अप्रत्यक्ष प्रणाली से परिसीमन पर इसका असर पड़ना तय है। यही वजह है कि इसकी प्रक्रिया शुरु होते ही सियासत तेज हो गई है। अब इसका लाभ किसे मिलेगा इस पर सबकी निगाह टिकी है।