#SarkarOnIBC24 : एमपी में सुंदरकांड पर सियासत, कांग्रेस का सियासी शस्त्र, सुंदरकांड बन गया अस्त्र!

#SarkarOnIBC24 : मप्र में दिन भर सुंदरकांड पर शोर रहा। आस्था की परिधि को लांघ नेता राजनीतिक हुड़दंग पर उतारू हो गए।

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  • Publish Date - July 19, 2024 / 11:27 PM IST,
    Updated On - July 19, 2024 / 11:27 PM IST

भोपाल : #SarkarOnIBC24 : मप्र में दिन भर सुंदरकांड पर शोर रहा। आस्था की परिधि को लांघ नेता राजनीतिक हुड़दंग पर उतारू हो गए। पक्ष हो या विपक्ष दोनों धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल अपने सियासी फायदे के लिए करते नजर आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन्हें ये हक देता कौन है वो किसी भी पवित्र परंपरा, मान्यता या धर्मग्रंथ को राजनीतिक अखाड़े में उतार दे?

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#SarkarOnIBC24 : एमपी अजब है सबसे गजब है ये बात ऐेसे ही नहीं कही गई होगी इसके पीछे जरुर कोई वजह रही होगी। अब देखिए न कांग्रेस आज पूरे लाव लश्कर के साथ भोपाल कमिश्नर के ऑफिस पहुंच गई और कमिश्नर गुहार लगाई कि उसके कार्यकर्ता का जन्मदिन है। इसलिए वो हर थाने में सुंदरकांड का पाठ करवाना चाहती है इसकी अनुमति दी जाए। कमिश्नर साहब भी एक बार सोचने लगे कि ये कैसा ज्ञापन है उन्होंने पूरे मामले को जाना और फौरन टीआई को कराण बताओ नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।

पूरे मामले को समझने के लिए आपको एक दिन पीछे चलना होगा। असल में मंत्री विश्वास सांरग के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए कांग्रेसी अशोका गार्डन थाने पहुंचे थे। जहां सुंदरकांड का पाठ चल रहा था..इस मामले में कांग्रेस का कहना है कि वहां के टीआई ने हमें किसी व्यक्ति के जन्मदिन और सुंदरकांड के पाठ का हवाला दिया है। इस बात को मुद्दा बनाते हुए कांग्रेसी ज्ञापन लेकर पुलिस कमिश्नर के पास चले गए।

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#SarkarOnIBC24 : बीजेपी भला कहां पीछे रहने वाली थी, बीजेपी के प्रवक्ता ने इसे सनातन विरोध से जोड़ दिया और कहा कि कांग्रेसी तो वैसे ही सनातन विरोधी रहे हैं। दिग्विजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वो कह रहे हैं कि 10 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं और उन्हें नियम पता है। ऐसे में जब कभी सड़क पर नमाज अदा होती थी तो उसका विरोध क्यों नहीं किया।

ये तो बड़ी सीधी बात है कि इस मामले में राजनीति हो रही है। कांग्रेस जहां ये कह रही है पुलिस हमारी सुन नहीं रही है थाने में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं तो वहीं बीजेपी कह रही है कि कांग्रेस सनातन विरोधी है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या थानों में धार्मिक आयोजन सही है?

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