मुंबई : Maharashtra Assembly Election 2024 : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग सख्त है। चुनाव आचार संहिता का पालन सुनिश्चित करने के लिए। आयोग की टीमें समय-समय पर प्रत्याशियों और स्टार प्रचारकों के सामान और हेलिकॉप्टर की जांच कर रहीं है। ऐसी ही एक जांच के दौरान शिवसेना UBT के प्रमुख उद्धव ठाकरे भड़क गए। उद्धव ठाकरे ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए। जिस पर सियासी बवाल मच गया।
Maharashtra Assembly Election 2024 : शिवसेना UBT के नेता उद्धव ठाकरे का चुनाव अधिकारी से बातचीत का यही वो वीडियो है जिस पर भारी बवाल मचा हुआ है। दरअसल चुनाव आयोग के अधिकारियों ने 11 नवंबर को यवतमाल और 12 नवंबर को उस्मानाबाद में उद्धव ठाकरे के बैग और हेलीकॉप्टर चेक किया। 24 घंटे में दो बार चैकिंग पर उद्धव ठाकरे नाराज हो गए। हालांकि उद्धव ठाकरे ने चुनाव अधिकारियों से ये भी कहा कि मेरी आप लोगों से कोई नाराजगी नही है, लेकिन ये जो एकतरफा कार्रवाई हो रही है, उसके मैं खिलाफ हूं।
इन वीडियो के वायरल होते ही महायुति के नेताओं ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा। सत्ता पक्ष के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया।
Maharashtra Assembly Election 2024 : उद्धव ठाकरे के आरोप पर महाविकास अघाड़ी के नेता भड़के तो एक के बाद एक महायुति के नेताओं के सामान की जांच के वीडियो भी, सोशल मीडिया में वायरल होने लगे। इसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी। डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस और अजीत पवार। सीएम एकनाथ शिंदे के साथ केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के सामान और हेलीकॉप्टर की जांच करते चुनाव अधिकारियों के वीडियो सामने आने लगे। जिसे इन नेताओं ने खुद अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया। महायुति और महाविकास अघाड़ी के नेताओं में इसे लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई।
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Maharashtra Assembly Election 2024 : देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संपन्न कराने के लिए संविधान ने चुनाव आयोग को कई सारी शक्तियां दी हैं। जिनकी इस्तेमाल आयोग प्रशासन, पुलिस और अपने अधिकारियों के जरिए करता है आयोग की मंशा चुनाव में धनबल, बहुबल और सत्ता के दुरुपयोग को रोकना है। आयोग की इसी सख्ती के चलते कई बार बड़ी मात्रा में नकदी पकड़ी जाती है तो कभी शराब और वोटरों को लुभाने वाला सामान जब्त किया जाता है। आयोग की यही कार्रवाई कई बार नेताओं को नागवार गुजरती है और इसे शक की नजर से देखा जाने लगता है।