रायपुर : CG Nagriya Nikay Chunav Update: छत्तीसगढ़ में जल्दी ही पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बजने वाला है। साय कैबिनेट ने आज इसी से जुड़ा बड़ा फैसला लिया। साय सरकार ने प्रदेश में महापौर और नगरीय निकायों के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराने के फैसले पर मुहर लगा दी। वोटर अब सीधे अपने मत के जरिए महापौर और नगरीय निकायों के अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। खास बात ये है कि साय सरकार ने इस फैसले के जरिए तत्कालीन भूपेश सरकार के फैसले को पलट दिया है। 2018 में कांग्रेस सरकार जब सत्ता आई थी तब उसने मेयर और नगर पालिका के अध्यक्षों का चुनाव प्रत्यक्ष की जगह अप्रत्यक्ष तरीके से कराने का आदेश दिया था। साय सरकार अब इसे पहले की तरह प्रत्यक्ष तरीके से कराने की तैयारी कर रही है। वहीं साय कैबिनेट के इस फैसले पर कांग्रेस भड़क गई। पूर्व मंत्री धनेंद्र साहू ने कैबिनेट के फैसले पर निशाना साधा कहा कि साफ है कि बीजेपी चुनाव में हार को लेकर घबराई हुई है।
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CG Nagriya Nikay Chunav Update: छत्तीसगढ़ में गाय को राज्य माता का दर्जा देने का मुद्दा अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि प्रदेश में काऊ पॉलिटिक्स एक बार फिर गरमा गई है। साय सरकार ने गायों की बेहतर देखभाल के लिए गौ अभ्यारण का नाम बदलने का फैसला किया है। सरकार ने हर गाय पर होने वाले सरकारी खर्च की राशि भी बढ़ाने जा रही है। बीजेपी सीएम साय की इस घोषणा लिए सरकार की तारीफ के पुल बांधते नहीं थक रही तो दूसरी तरफ कांग्रेस इसे प्रदेश में गायों की दयनीय हालत पर पर्दा डालने की कोशिश बताकर तंज कस रही है।
रायपुर का दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम जहां छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के नए अध्यक्ष विशेश्वर पटेल को शपथ दिलाई गई। इसी मंच से साय सरकार ने गायों की बेहतरी के लिए कई अहम घोषणाएं की। छत्तीसगढ़ में अब गायों के लिए बनने वाले गौ अभ्यारण को गौधाम के नाम से जाना जाएगा। साय सरकार ने इसके साथ ही गौशालाओं को मिलने वाले अनुदान राशि प्रति गाय 25 रुपए से बढ़ाकर 35 रुपए करने का ऐलान किया। साथ ही गौ तस्करों पर सख्ती की बात कही।
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CG Nagriya Nikay Chunav Update: गाय की बेहतर देखभाल के लिए साय सरकार ने बड़े ऐलान किए तो इस पर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए। आरोप लगाया कि प्रदेश में गायों की दयनीय हालत से ध्यान हटाने के लिए सरकार बड़ी-बड़ी बाते कर रही है।
गाय भारत का राष्ट्रीय पशु नहीं है, लेकिन भारतीय संस्कृति में उसे मां का दर्जा दिया गया है। यही वजह है कि चाहे सरकार कांग्रेस की रहे या बीजेपी की गाय की दयनीय हालत और बदइंतजामी सियासत का मुद्दा बन ही जाती है। साय सरकार ने गौ अभ्यारण को नाम बदलकर गौ धाम करने और प्रति गाय सरकारी खर्च बढ़ाकर अच्छी पहल की है, लेकिन देखना होगा कि इससे जमीन पर कुछ बदलता भी है या ये सिर्फ सरकारी घोषणा ही बनकर रह जाता है।