भोपाल : MP Congress News : मध्यप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव में चारों खाने चित होने के बाद कांग्रेस को नए क्लेवर में लाने की कोशिश दिल्ली दरबार की तरफ से की गई। उम्रदराज नेताओ को हटाकर युवाओ को कमान सौपने का प्रयोग किया गया। राहुल और मल्लिकार्जुन खड़गे का ये प्रयोग अब फेल होता दिख रहा है। जिसका खामियाजा कांग्रेस को आगे भुगतना पड़ सकता है।
MP Congress News : मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान जब से जीतू पटवारी ने संभाली है। वो खुलकर पार्टी का पक्ष मजबूती से हर मंच पर रखते नजर आ रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे भी सत्ता पक्ष के खिलाफ खुलकर मैदान में है। कांग्रेस आलाकमान की भी यही मंशा थी कि, विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस का नेतृत्व युवाओं के हाथ में रहे जो पार्टी में नया जोश और जज्बा पैदा करे, लेकिन पार्टी में दलबदल की लगातार घटनाओं ने युवाओं का भी जोश ठंडा कर दिया। यही वजह है कि जीतू पटवारी विरोध की आशंका में 0 महीनों के कार्यकाल के बाद भी अपनी कार्यकारिणी घोषित नहीं कर पाए।
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में ऐतिहासिक रूप से गुटबाजी हावी रही है। पार्टी कई धड़ों में बंटी है, जिसकी बानगी ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के रूप में देखने को मिली और कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
MP Congress News : एक समय था जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी का जलवा था। कांग्रेस सत्ता में थी। वहीं अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की तूती बोलती थी, लेकिन गुजरते वक्त के साथ कांग्रेस का मध्यप्रदेश में ढलान शुरू हो गया। कमलनाथ के 15 महीने के समय को छोड़ दे तो बीते दो दशक से बीजेपी सत्ता में है।जिसका तोड़ कांग्रेस नहीं निकाल पा रही। जानकारों का कहना है कि ऐसे में सिर्फ पीढ़िगत बदलाव से कुछ नहीं होगा नेताओं को निजी हित को परे रखकर पार्टी हित में सोचना होगा।