नई दिल्ली : #SarkarOnIBC24 : दीवाली के मौके पर एक बार फिर पटाखों पर बहस छिड़ गई है। इसके पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं। साधु और संत समाज जहां इस पर सवाल उठाने वालों को कटघरे में खड़ा कर रहा हैं। वहीं इस पर कांग्रेस और बीजेपी में सियायी बयानबाजी भी तेज है।
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#SarkarOnIBC24 : दीवाली के त्यौहार को यूं तो रौशनी का पर्व माना जाता है, लेकिन मौजूदा चलन कुछ ऐसा है कि जब तक पटाखे ना चलाए जाएं। इसे अधूरा मान लिया जाता है। पटाखों से ध्वनि प्रदूषण तो होता ही है। धुएं से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। इसी के चलते इससे बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन यही सलाह कई लोगों को नागवार गुजरती है। इन्हीं में से एक हैं बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, शास्त्री ने तल्ख लहजे में पूछा कि लोग बकरीद पर नसीहत क्यों नहीं देते।
मोहन सरकार में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की भी कुछ ऐसी ही राय है। वहीं कांग्रेस का तर्क है कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी है। सबको अपना मत रखने का अधिकार है।
#SarkarOnIBC24 : इसमें कोई दो राय नहीं कि दीपावली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। इसी दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जहां तक पटाखे फोड़ने का सवाल है। इसे जायज या गैर जरुरी बताने की बहस सालों पुरानी है। ऐसे में पटाखों की खरीदी बिक्री को सीमित तो किया जा सकता है और इस्तेमाल की भी सीमा तय की जा सकती है लेकिन पूरी तरह रोक किसी के बस की बात नहीं।