रायपुर : CG B.Ed Assistant Teacher Protest: छत्तीसगढ़ के बीएड सहायक शिक्षकों की नौकरियां जा चुकी हैं, अब उनके पास प्रदर्शनों का ही सहारा है। उन्होंने दंडवत प्रदर्शन कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है, इसे लेकर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने ये आरोप मढ़ दिया है कि बीजेपी युवाओं के साथ सही बर्ताव नहीं कर रही है ।
रविवार को भरी सर्दी के मौसम में राजधानी की सड़कों पर वाहनों के बीच, 5 किमी तक दंडवत होते ये सभी लोग प्रदेश के वो सहायक शिक्षक हैं जिन्हें नौकरी से निकालने का आदेश दे दिया गया है। कईयों के पास बर्खास्तगी का लेटर आ चुका है कईयों के पास आ रहा है। ये सभी शिक्षक बीते तकरीबन एक महीने से अलग-अलग तरह से सरकार से उन्हें किसी अन्य खाली पदों पर समायोजित करने की गुहार लगा रहे हैं। सोमवार को भी शिक्षकों ने छेर-छेरा पर सरकार से अपनी रोजी-रोटी चलाने नौकरी बचाने की मांग की।
यह भी पढ़ें : #SarkarOnIBC24: तीर्थ स्थलों में शराब पर लगेगा बैन! मोहन सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
CG B.Ed Assistant Teacher Protest: रविवार को देर रात सड़कों पर सहायक शिक्षकों ने 5 किलोमीटर दंडवत यात्रा निकाली, जिसका वीडियो तेजी से वायरल हुआ। इसपर पूर्व CM भूपेश बघेल ने X-पोस्ट कर सहायक शिक्षकों के साथ खड़े होने का दावा किया तो कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने दंडवत यात्रा के वीडियो को X-पोस्ट कर सीधे राज्य और केंद्र की बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया। फिलहाल, बीजेपी सफाई की मुद्रा में है वो कोर्ट के आदेश का हवाल दे रही है और विपक्ष को संवेदनशील मसले पर सियासत ना करने की नसीहत दे रही है ।
दरअसल, डीएड किए शिक्षकों के अधिकार सुरक्षित रखने, सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य तौर पर प्रायमरी सेक्शन में डीएड टीचर्स को ही भर्ती करने आदेश दिया। इसके पालन के लिए हाईकोर्ट ने सरकार को आदेशित किया। हाईकोर्ट के आदेश पर छग शिक्षा विभाग ने 31 दिसंबर 2024 को प्रदेश के 2897 बीएड सहायक शिक्षकों को बर्खास्त करने बावत आदेश निकालना शुरू कर दिया, जिससे बचने के लिए प्रदेश के करीब 3 हजार B.Ed सहायक शिक्षक, 14 दिसंबर 2024 से अंबिकापुर से पैदल यात्रा लेकर रायपुर पहुंचे, 19 दिसंबर से नवा रायपुर में प्रदर्शन शुरू किया, बीते महीने भर से शिक्षक सामूहिक मुंडन, जल सत्याग्रह, गौ सेवा और NCTE की शवयात्रा जैसे तरीकों से सरकार से एक ही मांग कर रही है, नौकरी बचा दो, समायोजित कर दो, सरकार ने बर्खास्त शिक्षकों की मांगों पर कमेटी भी बनाई लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ। शिक्षकों का सवाल है, विज्ञापन में सरकार ने ही BED को न्यूनतम योग्याता बनाया, लंबी प्रक्रिया और कॉम्पीटीशन के बाद अभर्थियों ने नौकरी पाई, अब वो किस गलती की सजा पा रहे हैं?