#SarkarOnIBC24 : ‘लाल आतंक’ पर नकेल.. 4 नक्सली ढेर, मांद में घुसे जवान.. सफाए का अभियान

CG Naxal Encounter News : दंतेवाड़ा और नारायणपुर सीम पर करीब 1 हजार जवानों ने नक्सलियों को घेरकर उन्हें वहीं ढेर कर दिया।

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  • Publish Date - January 6, 2025 / 12:00 AM IST,
    Updated On - January 6, 2025 / 12:00 AM IST

रायपुर : CG Naxal Encounter News : सुरक्षा बलों ने एक बार फिर नक्सलियों की मांद में घुसकर उनके वजूद को चुनौती दी है। दंतेवाड़ा और नारायणपुर सीम पर करीब 1 हजार जवानों ने नक्सलियों को घेरकर उन्हें वहीं ढेर कर दिया। रातभर चली मुठभेड के बाद सुरक्षा बलों को सुबह कामयाबी के निशान मिले जब नक्सलियों के शव बरामद हुए। हालांकि सुरक्षा बलों को नुकसान भी उठना पड़ा। एनकाउंटर के बाद साय सरकार ने जहां सुरक्षा बलों की पीठ थपथपाई तो विपक्ष ने सवाल उठाया।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले की सीमा पर सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली। अबूझमाड़ के जंगल में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में 4 नक्सलियों का मार गिराया गया। सुरक्षा बलों को नक्सलियों के हथियार, गोला बारूद, नक्सली साहित्य और निजी उपयोग का सामान बरामद हुआ। इस ऑपरेशन को अबूझमाड़ में 4 जिलों के 1 हजार जवानों ने अंजाम दिया। मारे गए नक्सलियों में 1 महिला भी शामिल है। हालांकि इस मुठभेड में DRG के एक जवान प्रधान आरक्षक सन्नू कारम शहीद हो गए। सन्नू कारम एक आत्मसमर्पित नक्सली थे। पुलिस में भर्ती होने के बाद उनकी पोस्टिंग दंतेवाड़ा में हुई थी। CM साय ने X पोस्ट कर नक्सली मुठभेड़ में शहीद जवान को श्रृद्धांजलि देते लिखा ये बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। नक्सलियों के शवों को दंतेवाड़ा मुख्यालय लाया गया। वहीं कारली पुलिस लाईन में शहीद जवान सन्नू कारम को अंतिम विदाई दी गयी।

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CG Naxal Encounter News : सीएम साय और गृहमंत्री विजय शर्मा ने जवानों की सफलता के लिए बधाई दी और मार्च 2026 तक नक्सलवाद के खात्मे की प्रतिबद्धता को दहराया।

नारायणपुर नक्सल एनकाउंटर पर विपक्ष की भी प्रतिक्रिया सामने आई। कांग्रेस ने नक्सलवाद को हिंसा नहीं वैचारिक रूप से समाप्त करने की जरुरत बताई।

नक्सलियों के पाव उखड़ रहे हैं। ऐसा कोई दिन नहीं बीत रहा जब उनके कभी सरेंडर तो कभी एनकाउंटर के खबरे नहीं आ रही हो। ऐसा लग रहा कि अब कुछ हार्डकोर नक्सली ही बचे हैं। जिनका इतना ब्रेन वॉश हो चुका है कि वो सरेंडर नहीं करना चाह रहे। हालांकि जिस तरह से सुरक्षा बलों का दवाब बढ़ता जा रहा है। नक्सलियों के पास ज्यादा विकल्प नहीं है, सरेंडर या एनकाउंटर में से उन्हें एक विकल्प चुनना है। ऐसे में वो दिन दूर नहीं जब छत्तीसगढ़ नक्सल मुक्त बन सकेगा।

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