#SarkarOnIBC24: तीसरी बार गठबंधन वाली सरकार, नीतीश और चंद्रबाबू नायडू बने ‘किंगमेकर’

#SarkarOnIBC24: तीसरी बार गठबंधन वाली सरकार, नीतीश और चंद्रबाबू नायडू बने 'किंगमेकर'

  •  
  • Publish Date - June 6, 2024 / 12:28 AM IST,
    Updated On - June 6, 2024 / 12:28 AM IST

नई दिल्ली: Lok Sabha Election 2024 Result देश की सियासत ने एक बार फिर करवट ली है। एक दशक बाद केंद्र में गठबंधन सरकार बनने जा रही है। बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद वो बहुमत के जादुई आंकड़े को नहीं छू सकी। ऐसे में उसे JDU और TDP जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के सहारे सरकार चलानी होगी। देश की सियासत में आ रहे इस बदलाव के क्या हैं मायने और क्या हैं इसके फायदे और नुकसान।

Read More: Lok Sabha Election 2024 Result: PM के शपथ-ग्रहण में शामिल होंगे इन देशों के राष्ट्र प्रमुख, मोदी ने भेजा न्योता 

Lok Sabha Election 2024 Result 2024 का लोकसभा चुनाव बीजेपी ने 400 पार के नारे के साथ लड़ा था। बीजेपी अपने दम पर 370 और NDA के दलों को मिलाकर 400 से ज्यादा सीटे लाने का सपना देख रही थी। जिसे नतीजों ने चूर-चूर कर दिया। नई लोकसभा के मौजूदा सियासी समीकरण पर नजर डाले। तो बीजेपी लोकसभा में 240 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। जो बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से 32 सीट कम है। NDA के सहयोगी दल चंद्रबाबू की TDP 16 सीटों के साथ दूसरी और नीतीश की JDU 12 सीटों के साथ NDA में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। इसके बाद शिवसेना के शिंदे गुट की 7 सीटों को मिला दिया जाए तो बीजेपी आसानी से गठबंधन सरकार बना रही है।

Read More: Narendra Modi Will Be The Next PM : नरेंद्र मोदी ही होंगे देश के प्रधानमंत्री, NDA मीटिंग में उपस्थित नेताओं ने जताई सहमति 

यानी 10 साल बाद देश में एक बार फिर गठबंधन की सरकार बनेगी। NDA के सहयोगी दल एकजुट हैं और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बाने के लिए उन्होंने अपना समर्थन दिया है। वैसे भारत में गठबंधन सरकार बनाने और चलाने का प्रयोग नया नहीं है। बल्कि इसका पुराना इतिहास रहा है। देश में कांग्रेस पार्टी का जैसे-जैसे पतन होता गया। गठबंधन सरकारो का दौर शुरू हुआ। हालांकि इसके कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। सबसे पहले बात करते हैं इसके फायदों की।

Read More: IND vs IRE: रोहित शर्मा ने तोड़ा धोनी का रिकॉर्ड, आयरलैंड के खिलाफ बनाया जीत का इतिहास 

क्षेत्रीय नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर काम करने का मौका मिलता है। राष्ट्रीय नीति-निर्माण में उनकी भूमिका होती है। केंद्र सरकार क्षेत्रीय हितों की अनदेखी नहीं कर पाती। केंद्र सरकार मनमानी नहीं कर सकती। सहयोगी पार्टी से सलाह मशवरे के बाद ही कोई बड़ा फैसला लेती है। इंडिया गठबंधन के नेता भी इसे लेकर आश्वस्त है कि केंद्र में इस बार गठबंधन सरकार बानने से बीजेपी मनमानी नहीं कर पाएगी। तानाशाही और संविधान को कोई खतरा नहीं है।

Read More: Narayanpur Naxal News: जवानों के कैम्प पर नक्सलियों ने किया हमला, सुरक्षाबलों को भारी पड़ता देख भाग निकले माओवादी 

केंद्र में गठबंधन सरकार होने से राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है। सहयोगी दलों के साथ छोड़ने से सरकार कभी भी अल्पमत में आ सकती है। राष्ट्रीय हित में बड़े फैसले लेने के लिए सहमति बनाने में दिक्कत आती है। सरकार बनाए रखने के लिए सहयोगी दल की नाजायज मांगों को भी पूरा करना पड़ता है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत 75 सालों के अपने सफर में कई प्रयोगों से होकर गुजरा है। गठबंधन सरकारों का गठन भी प्रयोग है। जिसके कई सफल और विफल उदाहरण देश ने देखे हैं और इससे काफी कुछ सीखा है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और डॉ. मनमोहन सिंह ने सफलतापूर्वक गठबंधन सरकारों को चलाया है। यानी 2024 के नतीजों के बाद देश में फिर से एक बार गठबंधन सरकार का दौर लौटा है। इस बार ये लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा या नहीं? ये बड़ा सवाल है।

इस बार देश में बनेगी किसकी सरकार? पीएम के तौर पर कौन है आपकी पसंद? आप भी दें अपनी राय IBC24 के एग्जिट पोल सर्वे में

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए हमारे फेसबुक फेज को भी फॉलो करें

IBC24 की अन्य बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें

Follow the IBC24 News channel on WhatsAp