नई दिल्ली : Kisan Andolan News : शंभू बॉर्डर पर महीनों से डटे किसानों का गुस्सा कम होना का नाम नहीं ले रहा है, किसानों ने आज एक बार फिर दिल्ली कूच का आव्हान कर मोदी सरकार को चुनौती दी। हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की ओर चल पड़े। सुरक्षा बलों और किसानों के बीच जमकर झड़प हुई, लेकिन किसान बॉर्डर पार नहीं कर सके। किसान सिर्फ विरोध प्रदर्शन ही नहीं कर रहे बल्कि किसानों ने बातचीत का दरवाजा भी खुला रखा है। 7 दिसंबर का दिन केंद्र सरकार से बातचीत के लिए किसानों ने रिजर्व रखा है लेकिन अगर बात नहीं बनी तो 8 दिसंबर को फिर से दिल्ली कूच की तैयारी है।
Kisan Andolan News : पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर पिछले 9 महीने से कैंप लगाकर बैठे किसानों का दिल्ली कूच फिर शुरू हो गया। किसानों ने पैदल अंबाला की तरफ बढ़ते हुए 2 बैरिकेड पार कर लिए, लेकिन शंभू बॉर्डर पहुंचने से पहले ही हरियाणा पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स ने बैरिकेड लगाकर किसानों को रोक दिया, लेकिन इसके बाद भी किसान नहीं माने और बैरिकेड हटाने लगे। जिससे पुलिस एक्शन मोड में आई पेपर स्प्रे और आंसू गैस के गोले छोड़कर किसानों को तितर-बितर कर दिया
किसान अपनी 13 मांगों के लेकर आंदोलन कर रहे हैं हैं। किसान चाहते हैं कि सभी फसलों की MSP पर खरीदी की कानूनी गारंटी मिले। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमते तय की जाएं। डीएपी खाद की कमी दूर की जाए, किसान और खेत मजदूरों का कर्ज माफी हो। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 दोबारा लागू हो। लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा मिले वहीं नकली खाद, बीज और कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़े कानून बनाए जाएं।
Kisan Andolan News : किसान अपनी मांगों पर अड़े है तो सरकार की ओर से सुलह की सभी कोशिशे नाकाम साबित हो चुकी है, ऐसे में विपक्ष हमलावर है। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी किसानों के मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और सरकार परर निशाना साधा।
विपक्ष सरकार पर हमलावर हुआ तो बीजेपी ने भी सरकार की सख्ती को जायज ठहराकर इसका बचाव किया।
देश में किसानों की खेती से जुड़ी जितनी भी समस्याएं हैं। वो इतनी पेचीदा हैं कि उनका समाधाए एक-दो दिन या चंद बैठकों में नहीं निकाला जा सकता। एक तरफ खेती की लागत काफी बढ़ रही है तो दूसरी तरफ किसानों को उनकी उपज के वाजिब दाम नहीं मिल रहे। इसमें बिचौलियों की भी बड़ी भूमिका है। दूसरी ओर सरकार के लिए देश के गरीब और आम मध्यमवर्ग के लिए वाजिब कीमतों पर सब्जी और खाद्यान की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी जरूरी है।साफ है चुनौती बड़ी है। किसान और सरकार मिल बैठकर ही बीच का रास्ता निकाले सकते हैं।