धर्म। चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म हुआ था। इस दिन को पूरे भारत में रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। रामजन्म उत्सव मानाने को लेकर रामभक्तों में अलग ही उत्साह नजर आता है।
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इस पावन पर्व के मौके पर आपको श्री राम के उन गुणों का पालन करने की बेहद जरूरी है। भगवान राम ने कई विषम परिस्थितियों में भी नियंत्रण रख सफलता प्राप्त की उन्होंने हमेशा वेदों और मर्यादा का पालन किया। स्वयं के सुखों से समझौता कर उन्होंने न्याय और सत्य का साथ दिया। जानिए भगवान राम के इन गुणों को।
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भगवान राम ने अपने सभी भाइयों के प्रति सगे भाई से बढ़कर त्याग और समर्पण का भाव रखा और स्नेह दिया। इसी कारण से भगवान राम के वनवास जाते समय लक्ष्मण जी भी उनके साथ वन गए। यही नहीं भरत ने श्री राम की अनुपस्थिति में राजपाट मिलने के बावजूद भगवान राम के मूल्यों को ध्यान में रखकर सिंहासन पर रामजी की चरण पादुका रख जनता की सेवा की।
भगवान राम काफी दयालु स्वभाव के रहें। उन्होंने सभी को आगे बढ़ कर नेतृत्व करने का अधिकार दिया। सुग्रीव को राज्य दिलाना उनके दयालु स्वभाव का ही प्रतिक है।
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सहनशीलता व धैर्य भगवान राम का प्रमुख गुण है। अयोध्या का राजा होते हुए भी श्री राम ने संन्यासी की तरह ही अपना जीवन व्यापन किया। यह उनकी सहनशीलता को दर्शाता है।
हर जाति, हर वर्ग के व्यक्तियों के साथ भगवान राम ने मित्रता की। हर रिश्तें को श्री राम ने दिल से निभाया। केवट हो या सुग्रीव, निषादराज या विभीषण सभी मित्रों के लिए उन्होंने स्वयं कई बार संकट झेले।
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भगवान राम एक कुशल प्रबंधक थे। वो सभी को साथ लेकर चलने वाले थे। भगवान राम के बेहतर नेतृत्व क्षमता की वजह से ही लंका जाने के लिए पत्थरों का सेतु बन पाया।
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