‘महिलाएं नहीं बन सकतीं शंकराचार्य, यह पद स्त्री के लिए नहीं है’, स्वामी स्वरूपानंद के इस बयान पर मचा था बवाल

Swami Swaroopanand Saraswati  : द्वारका-शारदापीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि...

  •  
  • Publish Date - September 11, 2022 / 05:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

मथुरा। Swami Swaroopanand Saraswati  : द्वारका-शारदापीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ‘महिलाएं शंकराचार्य नहीं बन सकती हैं, क्योंकि ये पद स्त्री के लिए नहीं है’। उनके इस बयान पर देशबर में जमकर बवाल मचा था। जमकर सियासत की गई। पक्ष और विपक्ष ने भी जमकर राजनीति की।  उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि धार्मिक परंपराओं में महिलाओं के हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए कहा है कि महिलाएं अन्य क्षेत्रों के समान राजनीति में तो जा सकती हैं किंतु वे शंकराचार्य जैसी सनातन संस्था की प्रतिनिधि नहीं बन सकतीं।

उन्होंने नेपाल में पशुपतिनाथ पीठ के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा था कि  इस पीठ पर महिला शंकराचार्य की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, ‘लेकिन इसके लिए वहां एक महिला को शंकराचार्य बना दिया गया। जबकि कोई भी महिला शंकराचार्य पद पर आसीन नहीं हो सकती। ऐसा विधान स्वयं आदि शंकराचार्य द्वारा तय किया गया है।’ । उन्होंने कहा, ‘महिलाएं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सांसद, विधायक बनें, यह अच्छी बात है। परंतु, कम से कम धर्माचार्यों को तो छोड़ दें। धर्म में यह पद स्त्री के लिए नहीं हैं।’

read more : 9 साल की उम्र में ही घर छोड़कर शुरू की धर्म यात्राएं, अंग्रेजों से लिया लोहा, ऐसा था शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती का पूरा जीवन

उन्होंने नेपाल में पशुपतिनाथ पीठ के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए उसकी स्थापना के लिए अखिल भारतीय विद्वत परिषद को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, ‘अखिल भारतीय विद्वत परिषद के नाम से खड़ी की गई संस्था नकली शंकराचार्य गढ़ने का कार्य कर रही है। यही नहीं, इसने पिछले दिनों नेपाल में पशुपतिनाथ के नाम से एक नई पीठ ही बना डाली। जबकि, इस तरह की कोई पीठ नहीं रही है।’

read more : कमलनाथ ने उमा भारती का उड़ाया मजाक? भारत जोड़ो यात्रा केआमंत्रण को लेकर पूर्व सीएम ने कही ये बात 

उन्होंने अपनी बात सिद्ध करने के लिए तर्क भी दिया कि जो संविधान एक देश में लागू होता है, वह उसी रूप में दूसरे देश में लागू नहीं हो सकता। उसी प्रकार, किसी को शंकराचार्य बना देने की व्यवस्था मान्य नहीं होगी। शंकराचार्य ने शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और इससे होने वाले नुकसान को लेकर भी आगाह किया। उन्होंने कहा, ‘शनि मंदिर में स्त्री का प्रवेश वर्जित है, क्योंकि शनि क्रूर ग्रह है। उसकी दृष्टि यदि स्त्री पर पड़ी तो उसे नुकसान हो सकता है, लेकिन समानता के आधार पर कहा जाता है कि स्त्री भी शनि की पूजा करेगी। अब इससे स्त्री की जो हानि होगी, उससे उसे कौन बचाएगा?’