सभी धर्मो के अपने अलग महीने होते हैं, उसमे कई परंपरायें सम्मिलित होती हैं। कई मान्यतायें भी शामिल होती हैं लेकिन सभी का उद्देश्य ख़ुशी औए एकता होता हैं। ऐसे ही रमज़ान का अपना एक महत्व होता हैं, जो इस्लामिक देशो में बड़े जोरो शोरो ने मनाया जाता हैं। यह मुस्लिम संस्कृति का एक बहुत ही महान महिना होता है, जिसके नियम बहुत कठिन होते हैं, जो इंसान में सहन शीलता को बढ़ाते हैं।
यह भी पढ़े : IPL 2023: गुजरात टाइटंस ने दिल्ली कैपिटल्स को छह विकेट से हराया, GT ने लगातार दूसरी जीत दर्ज की
रमज़ान का महिना बहुत ही पवित्र माना जाता हैं, यह इस्लामिक केलेंडर के नौवे महीने में आता हैं। मुस्लिम धर्म में चाँद का अत्याधिक महत्व होता हैं। इस्लामिक कैलेंडर में चाँद के अनुसार महीने के दिन गाने गाये जाते हैं, जो कि 30 या 29 होते हैं, इस तरह 10 दिन कम होते जाते हैं जिससे रमज़ान का महिना भी अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक प्रति वर्ष 10 दिन पहले आता हैं। रमज़ान के महीने को बहुत ही पावन माना जाता हैं। रमज़ान अपने कठोर नियमो के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है।05 अप्रैल को सहरी प्रातः 4:46 बजे और इफ्तार सायं 06:44 किया जाना है।
यह भी पढ़े : Karnataka Election: कर्नाटक में भाजपा डूबता जहाज, अब ईडी और आयकर विभाग के इस्तेमाल की तैयारी: कांग्रेस
सहरी: इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान माह में सूर्य उगने से पहले खाना खाया जाता है। इसे सहरी नाम से जाना जाता है। सहरी करने का समय पहले से ही निर्धारित कर दिया जाता है। सहरी करने को सुन्नत कहा जाता है।
इफ्तार: दिनभर बिना खाए-पिए रोजा रहने के बाद शाम को नमाज पढ़ने के बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है। यह शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। इसी को इफ्तार नाम से जाना जाता है।
यह भी पढ़े : सूर्य की तरह चमकेगा इन तीन राशियों का भाग्य, जल्द हो जाएंगे मालामाल…