Pausha Putrada Ekadashi 2025 Date : एकादशी व्रत नाम के अनुसार ही हर महीने में एकादशी तिथि को आती है। इसलिए हर महीने में दो एकादशी आती जो शुक्ल पक्ष की और कृष्ण पक्ष की एकादशी कहलाती है। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी होती है। लेकिन जब भी मलमास लगता है तो दो एकादशी बढ जाती है जिसे पुरुषोत्तम मास की एकादशी कहते हैं। ऐसे में मलमास जिस वर्ष लगता है उस साल एकादशी की संख्या 26 हो जाती है। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा ही महत्व बताया गया है। साल 2024 खत्म होने वाला है। नए साल 2025 में पहली एकादशी कब पड़ेगी? चलिए आज हम बतातें हैं।
नववर्ष 2025 की पहली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी है, जिसे वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है। पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी 2025 को शुक्रवार के दिन है। पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 9 जनवरी को दोपहर 12:22 बजे से होगा और इसका समापन 10 जनवरी को सुबह 10:19 बजे होगा। उदयातिथि के आधार पर पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को रखा जाएगा।
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 9 जनवरी 2025 को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 11 जनवरी को किया जाएगा। पारण के लिए शुभ समय सुबह 7 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक का रहेगा।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से पुत्रदा एकादशी का व्रत कर विधिपूर्वत पूजा करता है उसे जल्द ही एक संतान की प्राप्ति होती है। वहीं जिनके पहले से संतान है वे अगर पुत्रदा एकादशी का व्रत करते हैं तो उनकी संतान का आयु दीर्घायु होती है।
Putrada Ekadashi 2025 की तिथि 10 जनवरी 2025 को होगी, जो शुक्रवार के दिन है।
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान की प्राप्ति और संतान की दीर्घायु के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पारण का शुभ समय 11 जनवरी 2025 को सुबह 7:15 बजे से 8:21 बजे तक रहेगा।
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी 2025 को रखा जाएगा, क्योंकि यह उदयातिथि के अनुसार निर्धारित है।
यह एकादशी विशेष रूप से संतान के सुख और दीर्घायु के लिए की जाती है। इसे विधिपूर्वक करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।