रायपुर। नवरात्रि का समापन दशहरा या विजयादशमी को होता है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है और मां दुर्गा को हर्षपूर्वक विदा किया जाता है, इस कामना के साथ कि वे अगले वर्ष भी हमारे घर पधारें और हमारे जीवन में खुशियां तथा शुभता लेकर आएं। दशहरा के दिन शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहीं शाम के समय में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष दशहरा किस तारीख को है, उस दिन पूजा का मुहूर्त क्या है और रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों के दहन का मुहूर्त कब है।
हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर वर्ष दशहरा या विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष आश्विन शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है, जो 26 अक्टूबर को सुबह 09 बजे तक है। ऐसे में इस वर्ष दशहरा या विजयादशमी का त्योहार 25 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा। जानकारी के लिए शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि और दिवाली से 20 दिन पहले दशहरा पड़ता है।
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विजयादशमी पूजा मुहूर्त
विजयादशमी की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक है। आपको पूजा के लिए कुल 02 घंटे 15 मिनट का समय है। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक है। यह कुल समय 45 मिनट का है। हालांकि बंगाल में विजयादशमी का त्योहार सोमवार 26 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान राम, देवी अपराजिता तथा शमी के पेड़ की पूजा की जाती है।
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विजयादशमी या दशहरा का महत्व
भगवान श्रीराम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर चढ़ाई की थी। रावण की राक्षसी सेना और श्रीराम की वानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे सभी राक्षस मारे गए। रावण पर भगवान राम के विजय की खुशी में हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है। वहीं, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचार से मुक्ति दी थी, उसके उपलक्ष में भी हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है। श्री राम का लंका विजय तथा मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। विजयादशमी या दशहरा बुराई पर अच्छाई तथा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।