Vindhyeshwari Stotram : हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं मां विंध्यवासिनी। इन्हें योगमाया, महामाया, और एकानंशा के नाम से भी जाना जाता है। वैष्णव परंपरा में, उन्हें नारायणी की संज्ञा दी गई है, और वह विष्णु की माया की शक्तियों के अवतार के रूप में कार्य करती हैं। मां विंध्यवासिनी, नागवंशीय राजाओं की कुलदेवी हैं। मां विंध्यवासिनी का मंदिर, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर ज़िले के विंध्याचल नगर में है। विंध्येश्वरी स्तोत्र का पाठ करने से धन-संपदा, यश, सुख, समृद्धि, वैभव, पराक्रम, सौभाग्य, आरोग्य, और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। विंध्येश्वरी स्तोत्र में माता विंध्येश्वरी को दरिद्रजनों का दुःख दूर करने वाली, सज्जनों का कल्याण करने वाली, और वियोगजनित शोक का हरण करने वाली बताया गया है।
Vindhyeshwari Stotram : आईये यहाँ प्रस्तुत हैं त्वरित फलदायी श्री विंध्यवासिनी स्तोत्र
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी,
प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
Vindhyeshwari Stotram
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
Vindhyeshwari Stotram
कराब्जदानदाधरां,
शिवाशिवां प्रदायिनी ।
वरा-वराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
कपीन्द्न जामिनीप्रदां,
त्रिधा स्वरूप धारिणी ।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
Vindhyeshwari Stotram
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विलासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
पुंरदरादि सेवितां,
पुरादिवंशखण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
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