Vat Savitri Vrat 2024: सुहागन महिलाओं के लिए बेहद खास है वट सावित्री का व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

Vat Savitri Vrat 2024: सुहागन महिलाओं के लिए बेहद खास है वट सावित्री का व्रत, जानिए क्या है इसका महत्व और पूजा विधि

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  • Publish Date - June 6, 2024 / 07:30 AM IST,
    Updated On - June 6, 2024 / 07:30 AM IST

Vat Savitri Vrat 2024: हिंदू धर्म में वैसे तो कई तरह के तीज त्योहार है और सबका अपना अलग ही महत्व होता है, लेकिन सुहागन महिलाओं के लिए वट सावित्री का व्रत बेहद खास होता है, जिसका पालन हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की  अमावस्या को किया जाता है। वहीं कुछ जगहों पर ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है।इस साल वट सावित्री का व्रत आज 6 जून 2024 को रखा जा रहा है। इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए व्रत रखकर वट यानी बरगद के वृक्ष की विधिवत पूजा करती हैं। इसके साथ-साथ वट वृक्ष की सात या 108 परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटती हैं। ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री के साथ-साथ शनि जयंती का भी पर्व मनाया जाता है।

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पूजा का शुभ मुहूर्त

6 जून को अमृत काल में सुबह 5 बजकर 35 मिनट से सुबह 7 बजकर 16 मिनट तक पूजन करना शुभ रहेगा। इसके अलावा 8 बजकर 56 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट तक पूजा के लिए अच्छा मुहूर्त है। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक इस मुहूर्त में भी आप पूजा कर सकते हैं।

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पूजन विधि 

वट वृक्ष के नीचे सावित्री सत्यवान और यमराज की मूर्ति स्थापित करें। आप चाहें तो इनकी पूजा मानसिक रूप से भी कर सकते हैं। वट वृक्ष की जड़ में जल डालें, फूल-धूप और मिठाई से पूजा करें। कच्चा सूत लेकर वट वृक्ष की परिक्रमा करते जाएं, सूत तने में लपेटते जाएं। उसके बाद 7 बार परिक्रमा करें, हाथ में भीगा चना लेकर सावित्री सत्यवान की कथा सुनें। फिर भीगा चना, कुछ धन और वस्त्र अपनी सास को देकर उनका आशीर्वाद लें. वट वृक्ष की कोंपल खाकर उपवास समाप्त करें।

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वटवृक्ष का महत्व

Vat Savitri Vrat 2024:  हिंदू शास्त्रों के अनुसार, वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है। देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था। तब से ये व्रत ‘वट सावित्री’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं। वृक्ष की परिक्रमा करते समय इस पर 108 बार कच्चा सूत लपेटा जाता है। महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। सावित्री की कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पति के संकट दूर होते हैं।

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