कानपुर: भारत दुनिया में जहां अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है, वहीं दूसरी ओर मंदिरों और भागवान में अस्था के लिए भी विख्यात है। यहां हर मंदिर की एक अलग ही कहानी है। ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश में है, जहां मानसून की दस्तक से एक सप्ताह पहले ही छत से पानी टपकने लगती है। स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है और यहां कई बार रिसर्च किया जा चुका है। लेकिन आज तक कोई पता नहीं लगा पाया कि पानी कहां से और क्यों टपकता है।
Read More: ट्रेन टिकट बुक करने से पहले जानें भारतीय रेलवे के ये 20 नियम, नहीं तो…
यह मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर भीतरगांव विकास खंड में स्थित है। स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि मंदिर मानसून के आने से पहले भविष्यवाणी करता है। यहां भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित है। स्थानीय लोगों की मानें तो यह मंदिर पत्थरों से बना हुआ है और यहां टपकने वाली पानी की बूंदों से अंदाज लगाया जाता है कि बारिश कैसी होगी। यानि अगर बूंदें बड़ी हो तो अच्छी बारिश होगी और बूंदें छोटी हो तो बारिश कम होगी।
Read More: इंदौर में फिर हुआ पुलिस पर पथराव, बदले में पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को हटाया
वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कहना है कि यह मंदिर कई बार टूट चुका है, जिसे फिर से बनाया जा चुका है। यहां कई लोगों ने रिसर्च किया, भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर 9वी-10वीं सदी के आसपास का है। साथ ही रिसर्च करने वालों का दावा है कि यह मंदिर चूना और पत्थर से बनी हुई है। बारिश से पहले मौसम में उमस बढ़ने लगती हैं, जिससे चूना वातावरण से नमी ग्रहण करता है। मानसून की दस्तक से पहले जब उमस बढ़ती है तो चूने की नमी पत्थर तक पहुंचती है, जो बूंदें बनकर टपकने लगती है। मंदिर के निर्माण के लिए कोई खास तरह के पत्थर का इस्तेमाल नहीं किया गया है, ये सामान्य पत्थर ही हैं।
Read More: श्रीनगर में सेना ने हिज्बुल के दो आतंकियों को मार गिराया, हथियार और गोला-बारूद बरामद
भीतरगांव के विकास खंड अधिकार सौरभ बर्णवाल ने बताया कि ये मंदिर तीन भागों में बना हुआ है। गर्भगृह का एक छोटा भाग है और फिर बड़ा भाग है। ये तीनों भाग अलग-अलग काल में बने हैं। यहां भगवान विष्णु की प्रतिमा की स्थापित है। यहां विष्णु के 24 अवतारों की, पद्मनाभ स्वामी की मूर्ति स्थापित हैं।
Read More: यूपी महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में बड़ा हादसा, 9 प्रवासी मजदूरों की मौत