Tulsi Vivah Puja Vidhi|

Tulsi Vivah Puja Vidhi: देव उठनी एकादशी पर इस शुभ मुहूर्त में करें माता तुलसी की पूजा, यहां देखें पूजन विधि

Tulsi Vivah Puja Vidhi: देव उठनी एकादशी पर इस शुभ मुहूर्त में करें माता तुलसी की पूजा, यहां देखें पूजन विधि

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Modified Date: November 11, 2024 / 10:50 AM IST
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Published Date: November 11, 2024 10:50 am IST

Tulsi Vivah Puja Vidhi: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व  मनाया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी पूजा का विशेष मबहत्व है। इसे सौभाग्य का प्रतीक माना गया है और इसे करने से पाप से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु के विग्रह स्वरुप शालीग्राम और देवी तुलसी का विवाह सम्पन्न करने का विधान है। पंचांग के अनुसार, इस साल तुलसी विवाह 13 नवंबर को मनाया जाएगा।

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तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah 2024 Date or Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक मास की द्वादशी तिथि की शुरुआत दिन मंगलवार 12 नवबर, 2024 को शाम 4 बजकर 2 मिनट पर होगी। वहीं, इस तथि का समापन दिन बुधवार 13 नवंबर, 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर इस साल तुलसी विवाह का आयोजन 13 नवंबर को किया जाएगा। वहीं, तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त 13 नवंबर की शाम 5.29 बजे से शाम 7.53 बजे तक रहेगा।

तुलसी विवाह पूजा विधि (Tulsi Vivah 2024 Puja Vidhi)

  • अगर आपने व्रत रखा है तो सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़ा पहनें।
  • घर में जिस जगह पर तुसली का पौधा है उस जगह को अच्छे से साफ करें।
  • तुलसी विवाह के दिन फूल या साड़ियों से मंडप तैयार करें।
  • फिर तुलसी के पौधे और भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं, उसके बाद उन्हें फूल माला पहनाएं।
  • तुलसी विवाह के दौरान तुलसी जी का सोलह श्रृंगार करें।
  • भगवान विष्णु के शालिग्राम को धोती पहनाएं।
  • फिर तुलसी जी और भगवान विष्णु को धागे से बांधे।
  • तुलसी विवाह का समापन चावल और सिंदूर की वर्षा के साथ करें।
  • विवाह संपन्न होने के बाद सभी भक्तों को भोग वितरण करें।

तुलसी माता का स्तुति मंत्र

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

मां तुलसी का पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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