Tulsi Aarti : जिस जगह पर वृंदा भस्म हुई वहां एक पौधा उग गया। भगवान विष्णु ने इस उस पौधे को तुलसी नाम दिया. भगवान विष्णु ने उस पौधे को लेकर कहा कि मेरे शालिग्राम स्वरूप को तुलसी के साथ पूजा जाएगा. इसी वजह से देवउठनी एकादशी के अगले दिन शालिग्राम का विवाह तुलसी से विवाह करने की परंपरा है।
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Tulsi Aarti
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
धन तुलसी पूरण तप कीनो,
शालिग्राम बनी पटरानी ।
जाके पत्र मंजरी कोमल,
श्रीपति कमल चरण लपटानी ॥
Tulsi Aarti
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
धूप-दीप-नवैद्य आरती,
पुष्पन की वर्षा बरसानी ।
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन,
बिन तुलसी हरि एक ना मानी ॥
Tulsi Aarti
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
सभी सखी मैया तेरो यश गावें,
भक्तिदान दीजै महारानी ।
नमो-नमो तुलसी महारानी,
तुलसी महारानी नमो-नमो ॥
Tulsi Aarti
तुलसी महारानी नमो-नमो,
हरि की पटरानी नमो-नमो ।
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