इस मंदिर में रोज छोटी हो रही नरसिंह भगवान की प्रतिमा, बड़ी आपदा आने का संकेत ?

इस मंदिर में रोज छोटी हो रही नरसिंह भगवान की प्रतिमा, बड़ी आपदा आने का संकेत ?

इस मंदिर में रोज छोटी हो रही नरसिंह भगवान की प्रतिमा, बड़ी आपदा आने का संकेत ?
Modified Date: November 29, 2022 / 07:10 pm IST
Published Date: May 24, 2021 3:25 am IST

देहरादून। भगवान विष्‍णु के चौथे अवतार नरसिंह भगवान की 25 मई 2021, गुरुवार को जयंती है। वैशाख महीने के शुक्‍ल पक्ष की चर्तुदशी को भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए हिरण्यकश्यप को मारने यह अवतार लिया था, भगवान नरसिंह दैत्‍य राजा हिरण्‍य कश्‍यप को मारने के लिए खंभे को फाड़कर प्रकट हुए थे और उन्‍होंने आधा रूप नर का और आधा सिंह का रखा था, इसलिए उन्‍हें नरसिंह कहा गया। भगवान नरसिंह के वैसे तो कई मंदिर हैं लेकिन उत्तराखंड (Uttarakhand) के चामोली जिले के जोशीमठ में स्थित मंदिर बहुत खास है, इस मंदिर को लेकर एक मान्‍यता है, जिसका सीधा संबंध आपदा से है।

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कुछ महीने पहले उत्तराखंड के चामोली जिले में आई तबाही ने कई लोगों की जान ले ली थी, इसी जिले के जोशीमठ में भगवान नरसिंह को समर्पित एक मंदिर है, सप्त बद्री में से एक होने के कारण इस मंदिर को नारसिंघ बद्री या नरसिंह बद्री (Narsingh Badri) भी कहा जाता है, माना जाता है कि सर्दियों के दौरान संत श्री बद्रीनाथ इस मंदिर में रहते थे।

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इस मंदिर की एक खास बात और है कि यहां स्थापित भगवान नरसिंह की मूर्ति हर दिन छोटी होती जा रही है, मूर्ति की बाईं कलाई पतली है और हर गुजरते दिन के साथ पतली ही होती जा रही है, मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन कलाई बिल्कुल कम होकर प्रतिमा से अलग हो जाएगी, उस दिन बद्रीनाथ (Badrinath) को जाने वाला रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा, यह भी कहा जाता है कि इस दिन प्रलय आएगी और भूस्खलन के कारण यह रास्‍ता अवरुद्ध हो जाएगा।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com