Sri Lakshmi Dwadasa Nama Stotram: धन प्राप्ति के लिए करें श्री लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ, धन-संपदा में होगी अपार वृद्धि |Sri Lakshmi Dwadasa Nama Stotram

Sri Lakshmi Dwadasa Nama Stotram: धन प्राप्ति के लिए करें श्री लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ, धन-संपदा में होगी अपार वृद्धि

Sri Lakshmi Dwadasa Nama Stotram: धन प्राप्ति के लिए करें श्री लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ Sri lakshmi dwadasa nama stotram lyrics

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Modified Date: July 27, 2024 / 04:18 PM IST
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Published Date: July 27, 2024 4:18 pm IST

Sri Lakshmi Dwadasa Nama Stotram: माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। हिंदू घरों में माताएं-बहने माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए कई तरह के उपाय करती है। इनमें वैभव लक्ष्मी का व्रत, हर शुक्रवार को कुछ उपाय, पाठ और पूजा कर वे अपने धन प्राप्ति और घर में माता की कृपा के लिए प्रार्थना करती हैं।  अगर आपके भी घर में धन ज्यादा समय तक नहीं टिकता तो धन प्राप्त करने के लिए आप माता लक्ष्मी के पावरफुल नाम और श्रीलक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम् मंत्र का जाप कर उन्हे प्रसन्न कर सकते हैं।

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मां लक्ष्मी के लिए करें मां लक्ष्मी के 12 नामों का जाप (12 powerful names of maa lakshmi)

ईश्वरीकमला लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया। पद्मा पद्मालया सम्पद् रमा श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्। स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।

इस स्तोत्रम् में माता लक्ष्मी के 12 नाम बताए गए हैं। ईश्वरी, कमला, लक्ष्मी, चला, भूति, हरिप्रिया, पद्मा, पद्मालया, संपद्, रमा, श्री, पद्मधारिणी। इन 12 नामों का जाप करने से भक्त को स्थिर लक्ष्मी यानी धन, संतान सुख मिल सकता है और दरिद्रता दूर हो सकती है।

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श्रीलक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम् (Srilakshmi Dwadasa Nama Stotram)

श्रीदेवी प्रथमं नाम द्वितीयं अमृत्तोद्भवा तृत्तीयं कमला प्रोक्ता चतुर्थं लोकसुन्दरी
पञ्चमं विष्णुपत्नी च षष्ठं स्यात् वैष्णवी तथा सप्ततं तु वरारोहा अष्टमं हरिवल्लभा
नवमं शार्गिंणी प्रोक्ता दशमं देवदेविका एकादशं तु लक्ष्मीः स्यात् द्वादशं श्रीहरिप्रिया ।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः , आयुरारोग्यमैश्वर्यं तस्य पुण्यफलप्रदम्।।
द्विमासं सर्वकार्याणि षण्मासाद्राज्यमेव च, संवत्सरं तु पूजायाः श्रीलक्ष्म्याः पूज्य एव च।।
लक्ष्मीं क्षीरसमुद्रराजतनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीं, दासीभूत समस्त देववनितां लोकैक दीपांकुराम् ।।
श्रीमन्मन्दकटाक्ष लब्ध विभव ब्रह्मेन्द्र गंगाधरां, त्वां त्रैलोक्य कुटुंबिनीं सरसिजां वन्दे मुकुन्दप्रियाम् ।।
। । इति श्रीलक्ष्मीद्वादशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् । ।

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