सीता नवमी विशेष: त्याग की देवी मां सीता के इन गुणों से सीखें जीवन जीने के अनुपम तरीके

सीता नवमी विशेष: त्याग की देवी मां सीता के इन गुणों से सीखें जीवन जीने के अनुपम तरीके

सीता नवमी विशेष: त्याग की देवी मां सीता के इन गुणों से सीखें जीवन जीने के अनुपम तरीके
Modified Date: November 29, 2022 / 08:32 pm IST
Published Date: May 2, 2020 10:40 am IST

रायपुर। जीवन में मां सीता ने काफी संघर्ष किया। विवाह के तुरंत बाद 14 वर्षों का वनवास और फिर वनवास के दौरान रावण ने मां सीता का अपहरण कर लिया। राम ने जब रावण का वध किया तो उसके बाद मां सीता को अग्नि परिक्षा से गुजरना पड़ा। मां सीता के जीवन में बहुत सी कठिन परिस्थितियां आई पर मां ने कभी हार नहीं मानी। हालात कैसे भी हो मां ने हमेशा उनका डट कर सामना किया।

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मां सीता ने एक मिसाल कायम की व्यक्ति को कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। मां सीता के व्यक्तित्व और गुणों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आइए, जानते हैं सीता मां की 4 बातें, जिनको अगर हम अपने जीवन में अपना लेंगे तो कभी भी असफल नहीं होंगे।  

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वनवास सिर्फ प्रभु श्री राम को मिला था परंतु मां सीता ने अपना पतिव्रता धर्म निभाते हुए महलों का सुख त्याग कर भगवान श्री राम के साथ वन जाने का निर्णय लिया और हर पल उनका साथ दिया। मां सीता ने एक बार भी नहीं सोचा वो वन में कैसे रहेंगी।  

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मां सीता सिर्फ गृहणी नहीं थी, वो भगवान श्री राम के साथ सभी कार्यों में उनका साथ दिया करती थी। वनवास के दौरान मां सीता और लक्ष्मण जी ने भगवान का पूरा साथ दिया।

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रावण ने अपहरण कर मां सीता को अशोक वाटिका में रख था, जहां रावण ने माता सीता को हर तरह से परेशान करने की कोशिश की थी। परंतु मां सीता ने रावण का डटकर सामना किया। मां सीता को भगवान श्री राम पर भरोसा था कि वो आएंगे और उन्हें रावण के इस बंधन से छुड़ा लेंगे।

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हनुमान जी जब मां सीता के पास पहुंचे और उन्हें राम जी की अंगूठी दी तब मां सीता का विश्वास और बढ़ गया कि अब राम जी जल्दी आएंगे और उन्हें यहां से ले जाएंगे। मां सीता का विश्वास और बढ़ गया जब हनुमान जी ने अपनी शक्ति का परिचय मां सीता को दिया।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com