Siddhidatri Mata ki Katha : नवरात्री के नवमें दिन ज़रूर पढ़ें मां दुर्गा के नवमें अर्थात अंतिम रूप माँ सिद्धिदात्री की दिव्य कथा, जिनकी अनुकम्पा से भगवान शिव को कहा गया अर्धनारीश्वर

the ninth or the last form of Maa Durga, due to whose grace Lord Shiva was called Ardhanarishwar

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  • Publish Date - October 8, 2024 / 05:54 PM IST,
    Updated On - October 8, 2024 / 05:54 PM IST

Siddhidatri Mata ki Katha : मां सिद्धिदात्री, हिन्दू मां दुर्गा के नौ रूपों में अंतिम और नौवीं शक्ति हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी पूजा की जाती है । मां सिद्धिदात्री का नाम इस तरह से बना है – सिद्धि का मतलब है अलौकिक शक्ति या ध्यान क्षमता, और धात्री का मतलब है देने वाली या पुरस्कार देने वाली । मां सिद्धिदात्री के बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव ने इनकी कठोर तपस्या करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था और वे अर्धनारीश्वर कहलाए । मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली देवी माना जाता है । मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।

Siddhidatri Mata ki Katha : माँ की मंत्र स्तुति 

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:”।
अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे अपनी कृपा का पात्र बनाओ।

Siddhidatri Mata ki Katha : देवी का स्वरुप

माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनका वाहन सिंह है। ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है।

Siddhidatri Mata ki Katha : देवी के नाम इस प्रकार हैं 

1. अणिमा 2. लघिमा 3. प्राप्ति 4. प्राकाम्य 5. महिमा 6. ईशित्व,वाशित्व 7. सर्वकामावसायिता 8. सर्वज्ञत्व 9. दूरश्रवण 10. परकायप्रवेशन 11. वाक्‌सिद्धि 12. कल्पवृक्षत्व 13. सृष्टि 14. संहारकरणसामर्थ्य 15. अमरत्व 16. सर्वन्यायकत्व 17. भावना 18. सिद्धि

Siddhidatri Mata ki Katha : आईये पढ़ें माँ सिद्धिदात्री की दिव्य कथा

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मां सिद्धिदात्री, मां दुर्गा के नौ रूपों में से नौवीं और अंतिम रूप हैं. कहा जाता है कि जब दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागण भगवान शिव और भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ। उसी तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली हैं।

Siddhidatri Mata ki Katha

मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था।

Siddhidatri Mata ki Katha

मां सिद्धिदात्री की पूजा करते समय बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ माना जाता है ।

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