Shri Ramayan ji ki Aarti : रामायण एक किताब नहीं बल्कि विचार है, जिसका हर एक अंक व्यक्ति को जीवन के महत्व को समझाता है। ग्रंथ की बातें इंसान को जीवन में आगे बढ़ने में मदद करती हैं। अगर कोई व्यक्ति रोज रामायण का पाठ करता है तो उसका आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मकता दूर होती है। रामायण काफी बड़ी है और इसका पाठ रोज कर पाना बहुत मुश्किल है। ऐसी स्थिति में कम समय होने पर एक श्लोक वाली रामायण का जाप किया जा सकता है। श्री वाल्मीकि रामायण या रामचरित मानस का पाठ करने के पूर्व श्री रामायण जी की पूजा और आरती की जाती है इस पाठ के अंत के बाद भी यह कार्य विधिवत रूप से किया जाता है। यदि आप श्रीरामायणजी की आरती लिखी हुई पढ़ना चाहते हैं तो आपके लिए यहां प्रस्तुत है श्री रामायण जी की आरती ।
Shri Ramayan ji ki Aarti : आईये हम पढ़तें हैं श्री रामायण जी की आरती
आरति श्रीरामायणजी की,
कीरति कलित ललित सिय पी की।।टेक.।।
गावत ब्रहमादिक मुनि नारद,
बालमीक विग्यान-बिसारद।
सुक सनकादि सेष अरु सारद,
बरनि पवनसुत कीरति नीकी।।आरति.।।
Shri Ramayan ji ki Aarti
गावत बेद पुरान अष्टदस,
छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस।
मुनि जन धन संतान को सरबस,
सार अंस संमत सबही की।।आरति.।।
Shri Ramayan ji ki Aarti
गावत संतत संभु भवानी,
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी,
कागभुसुंडि गरुड के ही की।।आरति.।।
Shri Ramayan ji ki Aarti
कलिमल-हरनि बिषय रस फीकी,
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।
दलनि रोग भव मूरि अमी की,
तात मात सब बिधि तुलसी की।।आरति.।।
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