Shri Krishna ke 108 Naam : न्याय के देवता शनिदेव के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण हैं। कृष्णजी की भक्ति करने से न्याय के देवता शनिदेव प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से जातक के जीवन में व्याप्त आर्थिक विषमता दूर होती है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण संग श्रीजी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय भगवान श्रीकृष्ण के 108 नामों का मंत्र जप अवश्य करें। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों (Shri Krishna Ke 108 Naam) का जाप करने से प्रभु बहुत जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देते हैं।
Shri Krishna ke 108 Naam : आईये पढ़तें हैं श्रीकृष्ण के 108 नाम (हिंदी में अर्थ सहित)
1. अचला : भगवान।
2. अच्युत : अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो।
3. अद्भुतह : अद्भुत प्रभु।
4. आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
5. अदित्या : देवी अदिति के पुत्र।
6. अजन्मा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
7. अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
8. अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
9. अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
10. अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो।
Shri Krishna ke 108 Naam
11. आनंद सागर : कृपा करने वाले।
12. अनंता : अंतहीन देव।
13. अनंतजीत : हमेशा विजयी होने वाले।
14. अनया : जिनका कोई स्वामी न हो।
15. अनिरुद्धा : जिनका अवरोध न किया जा सके।
16. अपराजित : जिन्हें हराया न जा सके।
17. अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट।
18. बाल गोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप।
19. बलि : सर्वशक्तिमान।
20. चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु।
21. दानवेंद्रो : वरदान देने वाले।
22. दयालु : करुणा के भंडार।
23. दयानिधि : सब पर दया करने वाले।
24. देवाधिदेव : देवों के देव।
25. देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)।
Shri Krishna ke 108 Naam
26. देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर।
27. धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी।
28. द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति।
29. गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाले।
30. गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय।
31. गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
32. ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान।
33. हरि : प्रकृति के देवता।
34. हिरण्यगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35. ऋषिकेश : सभी इन्द्रियों के दाता।
36. जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु।
37. जगदीशा : सभी के रक्षक।
38. जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
39. जनार्धना : सभी को वरदान देने वाले।
40. जयंतह : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
41. ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
42. कमलनाथ : देवी लक्ष्मी के प्रभु।
43. कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
44. कामसांतक : कंस का वध करने वाले।
45. कंजलोचन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
Shri Krishna ke 108 Naam
46. केशव : लंबे, काले उलझा ताले जिसने।
47. कृष्ण : सांवले रंग वाले।
48. लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी के देवता।
49. लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
50. मदन : प्रेम के प्रतीक।
51. माधव : ज्ञान के भंडार।
52. मधुसूदन : मधु-दानवों का वध करने वाले।
53. महेन्द्र : इन्द्र के स्वामी।
54. मनमोहन : सबका मन मोह लेने वाले।
55. मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
56. मयूर : मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
57. मोहन : सभी को आकर्षित करने वाले।
58. मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
59. मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
60. मुरली मनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले।
61. नंदगोपाल : नंद बाबा के पुत्र।
62. नारायन : सबको शरण में लेने वाले।
63. निरंजन : सर्वोत्तम।
64. निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65. पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
66. पद्मनाभ : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
67. परब्रह्मन : परम सत्य।
68. परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
69. परम पुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70. पार्थसारथी : अर्जुन के सारथी।
Shri Krishna ke 108 Naam
71. प्रजापति : सभी प्राणियों के नाथ।
72. पुण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
73. पुरुषोत्तम : उत्तम पुरुष।
74. रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
75. सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु।
76. सहस्रजीत : हजारों को जीतने वाले।
77. सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों।
78. साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
79. सनातन : जिनका कभी अंत न हो।
80. सर्वजन : सब कुछ जानने वाले।
81. सर्वपालक : सभी का पालन करने वाले।
82. सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
83. सत्य वचन : सत्य कहने वाले।
84. सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85. शंतह : शांत भाव वाले।
86. श्रेष्ठ : महान।
87. श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88. श्याम : जिनका रंग सांवला हो।
89. श्यामसुंदर : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
90. सुदर्शन : रूपवान।
91. सुमेध : सर्वज्ञानी।
92. सुरेशम : सभी जीव-जंतुओं के देव।
93. स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
94. त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता।
95. उपेन्द्र : इन्द्र के भाई।
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96. वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
97. वर्धमानह : जिनका कोई आकार न हो।
98. वासुदेव : सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
99. विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
100. विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
101. विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता।
102. विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
103. विश्वरूपा : ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करने वाले।
104. विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
105. वृषपर्व : धर्म के भगवान।
106. यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
107. योगि : प्रमुख गुरु।
108. योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।
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