Shree Panchratna Ganpati Stotra : बड़ी से बड़ी बीमारी को देता है पछाड़, बाप्पा की असीम कृपा पाने के लिए निरंतर शुद्ध एवं एकाग्र मन से करें श्री पंचरत्न गणपति स्तोत्र का पाठ | Shree Panchratna Ganpati Stotra

Shree Panchratna Ganpati Stotra : बड़ी से बड़ी बीमारी को देता है पछाड़, बाप्पा की असीम कृपा पाने के लिए निरंतर शुद्ध एवं एकाग्र मन से करें श्री पंचरत्न गणपति स्तोत्र का पाठ

Defeats even the biggest illness, to get the infinite blessings of Bappa, recite Shri Panchratna Ganpati Stotra continuously with a pure and concentrated mind

Edited By :   Modified Date:  September 14, 2024 / 05:22 PM IST, Published Date : September 14, 2024/5:22 pm IST

Shree Panchratna Ganpati Stotra : श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र को शंकराचार्य ने लिखा था। धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुःख और संकट दूर हो जाते हैं। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करते समय श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र का पाठ करना कल्याणकारी माना जाता है। जो भी भक्त प्रातःकाल में गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करता है, जो भगवान गणेश के पांच रत्न अपने शुद्ध हृदय में याद करता है तुरंत ही उसका शरीर दाग-धब्बों और दुखों से मुक्त होकर स्वस्थ हो जायगा, वह शिक्षा के शिखर को प्राप्त करेगा, जीवन शांति, सुख के साथ आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि के साथ सम्पन्न हो जायेगा।

Shree Panchratna Ganpati Stotra : आईये पढ़तें हैं श्री गणेशपञ्चरत्नं स्तोत्र (हिंदी अर्थ सहित)

मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं
कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् ।
अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं
नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥
अर्थ : मैं मुक्ति के दाता-प्रदाता श्री गणेश भगवान को बहुत ही विनम्रता के साथ अपने हाथों से मोदक प्रदान (समर्पित) करता हूँ। जिनके सिर पर चंद्रमा एक मुकुट के समान विराजमान है, जो राजाधिराज हैं और जिन्होंने गजासुर नामक दानव हाथी का वध किया था, जो सभी के पापों का आसानी से विनाश कर देते हैं, ऐसे गणेश भगवान जी की मैं पूजा करता हूँ।1

Shree Panchratna Ganpati Stotra

नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं
नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥
अर्थ : मैं उन श्री गणेश भगवान पर सदा अपना मन और ध्यान अर्पित करता हूँ जो हमेशा उषा काल की तरह चमकते रहते हैं, जिनका सभी राक्षस और देवता सम्मान करते हैं, जो भगवानों में सबसे सर्वोत्तम हैं।2

Shree Panchratna Ganpati Stotra

समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं
दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥
अर्थ : मैं अपने मन को उस चमकते हुए गणपति भगवान के समक्ष झुकाता हूँ, जो पूरे संसार की खुशियों के दाता हैं, जिन्होंने दानव गजासुर का वध किया था, जिनका बड़ा सा पेट और हाथी की तरह सुन्दर चेहरा है, जो अविनाशी हैं, जो खुशियां और प्रसिद्धि प्रदान करते हैं और बुद्धि के दाता-प्रदाता हैं।3

Shree Panchratna Ganpati Stotra

अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं
पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् ।
प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम्
कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४॥
अर्थ : मैं उन भगवान की पूजा-अर्चना करता हूँ जो गरीबों के सभी दुःख दूर करते हैं, जो ॐ का निवास हैं, जो शिव भगवान के पहले पुत्र (बेटे) हैं, जो परमपिता परमेश्वर के शत्रुओं का विनाश करने वाले हैं, जो विनाश के समान भयंकर हैं, जो एक गज के समान दुष्ट और धनंजय हैं और सर्प को अपने आभूषण के रूप में धारण करते हैं।4

Shree Panchratna Ganpati Stotra

नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजं
अचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् ।
हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां
तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥५॥
अर्थ : मै सदा उस भगवान को प्रतिबिंबित करता हूँ जिनके चमकदार दन्त (दांत) हैं, जिनके दन्त बहुत सुन्दर हैं, स्वरूप अमर और अविनाशी हैं, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं और हमेशा योगियों के दिलों में वास करते हैं।5

Shree Panchratna Ganpati Stotra

महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां
समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ॥६॥
अर्थ : जो भी भक्त प्रातःकाल में गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करता है, जो भगवान गणेश के पांच रत्न अपने शुद्ध हृदय में याद करता है तुरंत ही उसका शरीर दाग-धब्बों और दुखों से मुक्त होकर स्वस्थ हो जायगा, वह शिक्षा के शिखर को प्राप्त करेगा, जीवन शांति, सुख के साथ आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि के साथ सम्पन्न हो जायेगा।6

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