Shivling Par Belpatra Kyo Chadhate Hai: भगवान शिव की पूजा में क्यों जरूरी है ये हरा पत्ता?, जानें क्या है इसका महत्व और नियम |

Shivling Par Belpatra Kyo Chadhate Hai: भगवान शिव की पूजा में क्यों जरूरी है ये हरा पत्ता?, जानें क्या है इसका महत्व और नियम

Shivling Par Belpatra Kyo Chadhate Hai: भगवान शिव की पूजा में क्यों जरूरी है ये हरा पत्ता?, जानें क्या है इसका महत्व और नियम

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Modified Date: July 28, 2024 / 10:23 PM IST
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Published Date: July 28, 2024 10:23 pm IST

Shivling Par Belpatra Kyo Chadhate Hai: धार्मिक दृष्टिकोण से बेलपत्र जिसे बिल्व-पत्र भी कहते हैं, भगवान शिव को अति प्रिय है। इसलिए भगवान शिव के हर पर्व एवं अनुष्ठानों में उन्हें बेल-पत्र अर्पित किया जाता है, मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं, लेकिन ये बहुत कम लोग ही जानते हैं कि शिवजी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है, बेलपत्र का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व क्या है, बेलपत्र चढ़ाने के क्या नियम हैं, और बेलपत्र चढ़ाते समय किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

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बेलपत्र का धार्मिक महत्व

तीन पत्तियों वाले बेल-पत्र को लेकर तमाम मान्यताएं प्रचलित हैं। बेल के तीन पत्तों को कहीं त्रिदेव (सृजन, पालन और विनाश के देव ब्रह्मा, विष्णु और शिव), कहीं तीन गुणों (सत्व, रज और तम) और कहीं तीन ध्वनियों की गूंज से ‘ॐ’ शब्द का प्रतीक माना जाता है। कुछ धर्म शास्त्रों में बेलपत्र की इन तीन पत्तियों को महादेव की तीन आंखें या उनके शस्त्र त्रिशूल का भी प्रतीक बताया गया है। साथ ही कहा जाता है कि, बेलपत्र के बिना शिव जी पूजा अधूरी मानी जाती है।

बेलपत्र का वैज्ञानिक महत्व

वैज्ञानिक शोधों के अनुसार बेलपत्र में तमाम औषधीय गुण होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं, और इनकी तासीर ठंडी होती है. बेलपत्र का लेप लगाने से गर्मी का प्रकोप कम होता है। आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के इलाज के लिए बेलपत्र का इस्तेमाल किया जाता है।

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बेलपत्र चढ़ाने के नियम

इन तिथियों में न तोड़े बेल-पत्रः सावन माह के सोमवार और चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी एवं अमावस्या के दिन बेलपत्र या बेल तोड़ने से अशुभता आती है, क्योंकि इन दिनों बेल-पत्र में देवी-देवता वास करते हैं।

तीन पत्तों वाला बेलपत्र ही शिवलिंग पर चढ़ाए-  चूंकि बेलपत्र तीन संयुक्त पत्तों से ही पूर्ण माना जाता है, इसलिए तीन पत्तों वाले बेल-पत्र ही चढ़ाना चाहिए।

बेल-पत्र चढ़ाने का सही तरीका-  बेलपत्र को अंगूठे, अनामिका और मध्यमा अंगुली से पकड़कर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

शिवलिंग पर कितना बेलपत्र अर्पित करे- विशिष्ठ मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु शिवलिंग पर 11, 21, 51 की संख्या में बेल-पत्र अर्पित करें और हर बार ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए।

तीन संपूर्ण पत्तों वाले बेलपत्र ही चढ़ाए- विशेष परिस्थितियों में शिवलिंग पर चढ़े बेल-पत्र को स्वच्छ पानी से धोकर दोबारा चढ़ाया जा सकता है, मगर खंडित अथवा दो या एक पत्ते वाले बेलपत्र चढ़ाना दोषपूर्ण माना जाता है।

शिवलिंग पर क्यों चढ़ाए जाते हैं बेलपत्र?

Shivling Par Belpatra Kyo Chadhate Hai:  देव और दानव के बीच समुद्र-मंथन से तमाम कीमती वस्तुओं के साथ हलाहल विष भी निकला। वह श्रावण माह का समय था। विश्व को हलाहल के प्रकोप से बचाने के लिए भगवान शिव ने विष का पान कर लिया। विष के प्रभाव से शिवजी का पूरा बदन तपने लगा, इससे पूरा ब्रह्माण्ड भी जलने लगा। शिवजी को शीतलता प्रदान करने के लिए सभी देवताओं ने उनके शरीर पर गंगाजल डाला, और ठंडी तासीर वाला बेल-पत्र खिलाया।  उनके बदन पर बेल-पत्र रखा, इससे उन्हें काफी आराम मिला। इसके बाद से ही भगवान शिव को गंगाजल का अभिषेक और बेल-पत्र अर्पित करने की प्रथा चली आ रही है।

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