Shivashtakam Stotram : जय शिवशंकर, जय गंगाधर.. पार्वती पति, हर हर शम्भो,, त्वरित फलदायी है महादेव शिव शंभू की ये एकमात्र सर्वश्रेष्ठ स्तुति | Shivashtakam Stotram

Shivashtakam Stotram : जय शिवशंकर, जय गंगाधर.. पार्वती पति, हर हर शम्भो,, त्वरित फलदायी है महादेव शिव शंभू की ये एकमात्र सर्वश्रेष्ठ स्तुति

Jai Shivshankar, Jai Gangadhar.. Parvati Pati, Har Har Shambho, this is the only best praise of Mahadev Shiv Shambhu which gives quick results

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Modified Date: November 29, 2024 / 02:26 PM IST
Published Date: November 29, 2024 2:26 pm IST

Shivashtakam Stotram : शिवाष्टक का रोज़ाना पाठ करने से मनुष्य को भगवान शिव शंभू की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे साधक अपने समस्त प्रकार के दुःख एवं कष्टों से मुक्त हो जाता है। भक्तगण भगवान शिव से आशीर्वाद, सुरक्षा और आध्यात्मिक उत्थान की कामना के लिए इसका जाप करते हैं। इस स्तोत्र का दैनिक प्रार्थना के दौरान, सोमवार को, श्रावण माह में और महाशिवरात्रि जैसे शुभ अवसरों पर व्यापक रूप से पाठ किया जाता है। इस स्तुति का नित्य पाठ करने से शीघ्र ही फल की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, हर बुरी परिस्थिति से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है, परिवार में शांति और सामंजस्य बना रहता है।

Shivashtakam Stotram: आईये यहाँ पढ़ें और सुनें ये सर्वश्रेष्ठ स्तुति 

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर, जय जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय सगुण अनामय, निराकार, साकार हरे ,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ १ ॥

Shivashtakam Stotram

जय रामेश्वर, जय नागेश्वर, वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्रयम्बकेश्वर, जय घुश्मेस्वर, भीमेश्वर, जगतार हरे,
काशीपति, श्री विश्वनाथ जय, मंगलमय अघ-हार हरे,
नीलकण्ठ जय, भूतनाथ, मृत्युंजय, अविकार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ २ ॥

Shivashtakam Stotram

जय महेश, जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,
किस मुख से हे गुणातीत प्रभु, तव महिमा अपार वर्णन हो,
जय भवकारक, तारक, हारक, पातक-दारक, शिव शम्भो,
दीन दुःखहर, सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाकर शिव शम्भो,
पार लगा दो भवसागर से, बनकर करुणाधार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ३ ॥

Shivashtakam Stotram

जय मनभावन, जय अतिपावन, शोक-नशावन शिव शम्भो,
सहज वचन हर, जलज-नयन-वर, धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन, शिव शम्भो,
सहज वचन हर, जलज-नयन-वर, धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
मदन-कदन-कर पाप हरन हर-चरन मनन धन शिव शम्भो,
विवसन, विश्वरूप प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ४ ॥

Shivashtakam Stotram

भोलानाथ कृपालु दयामय, औघड़दानी शिव योगी,
निमित्र मात्र में देते हैं, नवनिधि मनमानी शिव योगी,
सरल ह्रदय अतिकरुणा सागर, अकथ कहानी शिव योगी,
भक्तों पर सर्वस्व लुटा कर बने मसानी शिव योगी,
स्वयं अकिंचन, जनमन रंजन, पर शिव परम उदार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ५॥

Shivashtakam Stotram

आशुतोष इस मोहमयी निद्रा से मुझे जगा देना,
विषय-वेदना से विषयों को माया-धीश छुड़ा देना,
रूप-सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना,
दिव्य-ज्ञान-भण्डार-युगल-चरणों में लगन लगा देना,
एक बार इस मन मन्दिर में कीजे पद संचार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ६ ॥

Shivashtakam Stotram

दानी हो, दो भिक्षा में अपनी अनपायनि भक्ति प्रभो,
शक्तिमान हो, दो तुम अपने चरणों में अनुरक्ति प्रभो,
पूर्ण ब्रह्म हो, दो तुम अपने रूप का सच्चा ज्ञान प्रभो,
स्वामी हो, निज सेवक की सुन लेना करुण पुकार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ७ ॥

Shivashtakam Stotram

तुम बिन, व्याकुल हूँ प्राणेश्वर आ जाओ भगवंत हरे,
चरण-शरण की बांह गहो, हे उमा-रमण प्रियकंत हरे,
विरह व्यथित हूँ, दीन दुःखी हूँ, दीन दयालु अनन्त हरे,
आओ तुम मेरे हो जाओ, आ जाओ श्रीमन्त हरे,
मेरी इस दयनीय दशा पर, कुछ तो करो विचार हरे,
पार्वती पति, हर हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे ॥ ८ ॥

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