Shiv Stotra: हिन्दू धर्म में हर दिन, तिथि, तीज-त्योहारों, ग्रहों की चाल, नक्षत्र परिवर्तन इत्यादि का खास महत्व होता है। ऐसे में 22 जुलाई से सावन के पवित्र महीने की शुरुआत होने जा रही है। इस बार सावन की शुरुआत सोमवार से ही हो रही है, साथ ही पांच सोमवार पड़ने से ये बहद खास माना जा रहा है। इस पावन महीने में भोले बाबा के भक्त मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत भी रखते हैं। कहा जाता है कि इस महीने में उनकी कई तरह से आराधना-उपासना करके उन्हें प्रसन्न किया जाता है।
सावन में करें श्री शिव प्रातः:स्मरण स्तोत्र का पाठ
मान्यता है कि सावन महीने में सहित श्री शिव प्रात:स्मरण स्तोत्रम् का पाठ करने से सभी तरह के कष्ट मिट जाते हैं। प्रात: स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं पाठ शिवजी की स्तुति का सबसे महत्वपूर्ण अद्भुत स्तोत्रतम पाठ है। यह एक चमत्कारिक मंत्र पाठ है। नाथ संप्रदाय के प्रवर्तक श्री मछिंदरनाथ द्वारा इसकी रचना की गई है। यहां श्री शिव प्रात:स्मरण स्तोत्रम् पाठ हिंदी और संस्कृत दोनों भाषा में दिए गए हैं।
प्रात: स्मरामि भवभीतिहरं सुरेशं
गङ्गाधरं वृषभवाहनमम्बिकेशम्।
खट्वाङ्गशूलवरदाभयहस्तमीशं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्।।1॥
जो सांसारिक भय को हरने वाले और देवताओं के स्वामी हैं, जो गंगाजी को धारण करते हैं, जिनका वृषभ वाहन है, जो अम्बिका के ईश हैं तथा जिनके हाथ में खट्वांग, त्रिशूल और वरद तथा अभय मुद्रा है, उन संसार-रोग को हरने के निमित्त अद्वितीय औषध रूप ‘ईश’ (महादेवजी) का मैं प्रात: समय में स्मरण करता हूं।।1।।
प्रातर्नमामि गिरिशं गिरिजार्द्धदेहं
सर्गस्थितिप्रलयकारणमादिदेवम्।
विश्वेश्वरं विजितविश्वमनोSभिरामं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्।।2॥
भगवती पार्वती जिनका आधा अंग हैं, जो संसार की सृष्टि, स्थिति और प्रलय के कारण हैं, आदिदेव हैं, विश्वनाथ हैं, विश्व विजयी और मनोहर हैं, सांसारिक रोग को नष्ट करने के लिए अद्वितीय और औषध रूप उन ‘गिरीश’ (शिव) को मैं प्रात:काल नमस्कार करता हूं।।2।।
प्रातर्भजामि शिवमेकमनन्तमाद्यं
वेदान्तवेद्यमनघं पुरुषं महान्तम्।
नामादिभेदरहितं षड्भावशून्यं
संसाररोगहरमौषधमद्वितीयम्।।3॥
जो अंत से रहित आदिदेव हैं, वेदांत से जानने योग्य, पापरहित एवं महान पुरुष हैं तथा जो नाम आदि भेदों से रहित, 6 विकारों (जन्म, वृद्धि, स्थिरता, परिणमन, अपक्षय और विनाश)- से शुन्य, संसार-रोग को हरने के निमित्त अद्वितीय औषध हैं, उन एक शिवजी को मैं प्रात:काल भजता हूं।
प्रात: समुत्थाय शिवं विचिन्त्य
श्लोकत्रयं येSनुदिनं पठन्ति।
ते दु:खजातं बहुजन्मसञ्चितं
हित्वा पदं यान्ति तदेव शम्भो:।।4।।
जो मनुष्य प्रात:काल उठकर शिव का ध्यान कर प्रतिदिन इन तीनों श्लोकों का पाठ करते हैं, वे लोग अनेक जन्मों के संचित दु:ख समूह से मुक्त होकर शिवजी के उसी कल्याणमय पद को पाते हैं।
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