Shardiya Navratri Day 3 : नवरात्रि का तीसरा दिन आज, मां चन्द्रघंटा की पूजा करते समय करें इस स्त्रोत का पाठ, परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

Shardiya Navratri Day 3 : नवरात्रि का तीसरा दिन आज, मां चन्द्रघंटा की पूजा करते समय करें इस स्त्रोत का पाठ, परेशानियों से मिलेगा छुटकारा

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  • Publish Date - October 5, 2024 / 06:33 PM IST,
    Updated On - October 5, 2024 / 06:33 PM IST

Shardiya Navratri Day 3 : 3 अक्टूबर से  शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में हर दिन, तिथि, ग्रह-नक्षत्र, योग और तिज-त्योहारों का खास महत्व होता है। ऐसे में शारदीय नवरात्रि को लेकर लोगों में भी खास उत्साह है। जगह-जगह देवी मंदिरों में माता के जयकारे गूंज रहे हैं।  मान्यता है कि जिस घर में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना होती है, उस घर के संकट कट जाते हैं। देवी का आशीर्वाद आपके जीवन में अपार खुशियां लाती है। वहीं नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं आज नवरात्रि का तीसे दिन है इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा का चंद्रघंटा रूप शांति और कल्याण का प्रतीक है। इसी प्रकार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं के मुख से उत्पन्न ऊर्जा से एक देवी का अविर्भाव हुआ।

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मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग

मां चंद्रघंटा को केसर की खीर और दूध से निर्मित मिठाई का भोग अर्पित करना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, पंचामृत, चीनी और मिश्री भी माता रानी को समर्पित की जाती हैं। इसके साथ ही कहा जाता है कि, मां चंद्रघंटा को सुनहरे और पीले रंग पसंद है। इसलिए मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र पहनना चाहिए।

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मां चन्द्रघंटा का स्त्रोत मंत्र

ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम.
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम.
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम.
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्घ
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम.
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ
स्तोत्र आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम.

अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम.
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम.

सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्
कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने.
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं.
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च.

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