sharad purnima par kheer banaye ya nahin: 28 अक्टूबर को साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। वहीं, इस दिन चंद्र ग्रहण के साये में शरद पूर्णिमा भी मनाया जाएगा। बता दें कि आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसलिए इस पर्व की रात चंद्रमा की किरणों में खीर बनाने और खाने की परंपरा है। इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। मान्यता है इससे मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
शरद पूर्णिमा पर खीर क्यों बनाते हैं?
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने और उसका भोग लगाकर सेवन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इससे अमृत की बरसात होती है। इस दौरान चांद से निकलने वाली किरणे इतनी शक्तिशाली मानी जाती हैं कि इनमें कई तरह के रोगों को नष्ट करने की क्षमता होती है। यही वजह है कि इस दिन चांद की रोशनी में खीर को रखना शुभ माना जाता है।
चंद्रमा की किरणों में खीर रखें या नहीं?
चंद्र ग्रहण के सूतक काल में भोजन बनाने और खाने की मनाही होती है। इसलिए इस बार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में न तो खीर बनाएं और न ही खाएं। ऐसा करने से सेहत पर बुरा असर हो सकता है। शरद पूर्णिमा के एक दिन पहले यानी 27 अक्टूबर, शुक्रवार को खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रख दें। अब चंद्रास्त के बाद आप उस खीर को खाएं। ऐसा करने से खीर दूषित भी नहीं होगी और उसे औषधियुक्त रोशनी प्राप्त हो जाएगी।
अगर आप ऐसा नहीं कर पाएं हैं तो निराश न हो प्रातः कालीन 28 तारीख को सुबह 8:00 बजे से 3:00 तक खीर बना लें। लक्ष्मी जी की भी पूजा कर लें और सूतक लगने से ठीक पहले पूजा पाठ कर खीर को प्रसाद के तौर पर चढ़ाने के बाद उसमें तुलसी दल डालकर भोग लगाकर उसे किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें, जिससे कोई भी उस खीर को स्पर्श न कर सकें। जैसे ही चंद्र ग्रहण खत्म हो उसके बाद खीर को खुले छत पर या खुले आसमान पर रख दें, जिससे कुछ घंटे तक उसमें चंद्रमा की किरणें भी पड़ें और उसमें अमृत वर्षा हो जाएगी।
(Disclaimer : यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों और जानकारियों पर आधारित है, IBC24 किसी भी तरह की मान्यता-जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इन पर अमल लाने से पहले अपने ज्योतिषाचार्य या पंडित से संपर्क करें।)
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