sawan somwar 2022: सावन के शुरू होते ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगती है। भक्त अपने महादेव को जल चढ़ाने बेसब्री से सावन का इंतजार करते हैं। भोले को मनाने और मनोवांछित फल पाने कांवर लेकर महादेव के दरबार पहुंचते हैं। व्रत रखकर अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। सावन के शुरू होते ही शिव मंदिरों में बम-बम भोले के जयकारे गूंजने लगे हैं। ऐसा माना जाता है कि कांवर उठाने वाले की हर मनोकामना शीघ्र पूरी कर देते हैं। आज आपको कांवड़ का महत्व और शिवलिंग पर जल चढ़ाने का मुहूर्त बताते हैं।
पुराणों के अनुसार, सृष्टि में सबसे पहली कांवड़ यात्रा त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने की थी। श्रवण कुमार माता-पिता की इच्छा की पूर्ति के लिए कांवर लाए थे। श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कांवर में बिठाकर हरिद्वार गंगा स्नान के लिए ले गए और फिर वहां से लौटते वक्त अपने साथ में गंगाजल भी लेकर आए। इसी गंगाजल से उन्होंने अपने माता-पिता की ओर से शिवलिंग पर अभिषेक करवाया, तभी से कांवर यात्रा शुरू हुई।
कांवड़ में जल भरकर शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाने की परंपरा होती है। सावन में भगवान शिव ने विषपान किया था। उस विष की ज्वाला को शांत करने के लिए भक्त भगवान को जल अर्पित करते हैं। कांवड़ के जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से तमाम समस्याएं दूर होती हैं। कहते हैं कि सावन में भगवान शिव को नियमानुसार जल अर्पित करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता है। शिवरात्रि पर कांवड़ में लाए गंगाजल से भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से 1000 गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।
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सावन के महीने में मासिक शिवरात्रि कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाई जाएगी। यानी भगवान शंकर के जलाभिषेक 26 जुलाई को होगा। इस दिन महादेव को जल चढ़ाने का समय शाम 7.23 से रात 9.27 तक रहेगा। भगवान शंकर के जलाभिषेक का 2 घंटे से ज्यादा का शुभ मुहूर्त है। मान्यता तो यही है कि शिवरात्रि पर भगवान शंकर का जलाभिषेक करने से साधक को भगवान शंकर की कृपा अति शीघ्र मिल जाती है।